अपनी मांसल देह का, करे प्रदर्शन नार !
कम कपड़ों में घूम रही, देखो बीच बजार !!
आधुनिकता के नाम पर, देखो ये करतूत !
वस्त्र हैं इसने तज दिए, बस चिंदी संग- सूत !!
लिव-इन-रिलेशन में रहे, देखो नारी आज !
कथा के पचड़े कौन पड़े, जब यों-ही मिले परसाद !!
यों-ही मिले परसाद, रिलेशन महिमां गाओ !
इक से मन भर जाए, तो झट दूजा ले आओ !!
स्वतंत्रता की होड़ में,विवेक गया है छूट !
नारी खुद है लुट रही,औ पुरुष रहा है लूट !!
आज नए इस दौर में, टूट रहा है समाज !
नारी है दुश्मन बनी, देखो अपनी आज !!
.
- राजू आहूजा
"मौलिक एवम् अप्रकाशित "
Comment
यों ही मिले परसाद -- ऐसे न कहिये प्लीज .. ऐसा लगता है कस कर चांटा मार दिया किसी ने
हाँ पहले की तरह आजकल बेवफाई होने पर लड़का लड़की जान नहीं देते .. सचाई को स्वीकार कर संभलते हैं और फिर जीने लगते हैं .... शायद कहीं ये बात ही खटकने लगी है ..
आदरणीय राजू आहूजा जी .. रचना अच्छी बन पड़ी है ..शब्द संयोजन और व्यंग भी सही है ..लेकिन बात रचना तक ही अच्छी लगी
लेकिन सच कहूँ -- बात कुछ जमी नहीं
ये भाव इकहरे प्रतिशत लड़कियों पर लागू होते हैं .. ९० प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां और औरतें अब भी मर्यादाओं में जीती हैं .. वस्त्र का आधुनिक होना लड़कियों के छिछोरेपन को साबित नहीं करता .. जरुरी नहीं की जींस और स्कर्ट पहनने वाली लड़कियों में संस्कार नहीं होते .. बोल्ड होने का मतलब बदचलन होना नहीं है .. मैं एक माँ भी हूँ और एक बड़े शहर की प्रोफेशनल भी .. यहाँ लड़कियां पढ़ी लिखी हैं आधुनिक विचारधारा की हैं .. हर मामलों में लड़कों की बराबरी है .. लेकिन जब बात संस्कार की आती है .. मैंने कहीं भी मेरे आस पास की लड़कियों में बेशर्मी नहीं देखी ... इसलिए चंद लड़कियों के व्यवहार को देखकर और टीवी के सीरियल के आधार पर ऐसी आधुनिकता की तस्वीर को जेनेरलाइज करना कम जंचता है
... ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं ... अन्यथा न लें
यों-ही मिले परसाद, रिलेशन महिमां गाओ !
इक से मन भर जाए, तो झट दूजा ले आओ !!
आधुनिक युवाओं पर सटीक बैठती पंक्ति ,,,आपको हार्दिक बधाई आ.rajkumarahuja जी |
यह क्या 'माय चॉइस' के जवाब में है ? आदरणीय आहूजा जी
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