कब्र में आज कुछ नमीं सी है,
शबे-माह कौन यहाँ आया है !
कहाँ हैं वो ..जिनके अश्कों नें,
अज़ल को ......ख्व़ाब से जगाया है !!
दूर वीरानें में .....दरख्तों पर ,
ये किसने चाँद को लटकाया है !
उम्र बस यूँ हि.....गुज़र जायेगी,
वक़्त बीता ...कब लौट के आया है !!
चले थे साथ ...मगर चल न सके,
एहसासात ........बेनवा निकले !
दर्द की दर्ज़ को भी सी न सके,
रफूगर ही ......बेवफ़ा निकले !!
ता उम्र मिला न…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 24, 2015 at 3:30pm — 2 Comments
एक दिन महानगर के किसी बस स्टाप के पास खड़ी, एक सुन्दर युवती के पास एक कार आकर रुकती है ! कार का दरवाज़ा खुलता है और अन्दर बैठे दो युवकों में से एक,उतर कर लड़की के पास आता है ! दोनों में कुछ बातें होतीं है, और लड़की गाड़ी में सवार हो जाती है !
दूसरे दिन महानगर के किसी बस स्टाप के पास खड़ी, एक सुन्दर सी युवती के पास वही कार आकर रुकती है ! कार का दरवाज़ा खुलता है और अन्दर बैठे दो युवकों में से एक, उतर कर लड़की के पास आता है ! दोनों…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 18, 2015 at 2:00pm — No Comments
पापा आवारा किसे कहते हैं ? चार साल के बिट्टू के इस प्रश्न पर मैं थोडा चौंका , फिर गोद में लेकर प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर बोला, बेटा आवारा उसे कहते हैं जिसका कोई नहीं होता, जो व्यर्थ गली-गली घूमता है ! ...तो ..पापा क्या दादा जी का कोई नहीं है... ? जो मम्मी रोज कहती है ....इस उम्र में भी भटकता रहता है आवारा जैसा ....शाम को भोजन के वक्त घर याद आता है ..............
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
राजू आहूजा
Added by rajkumarahuja on April 16, 2015 at 12:30am — 10 Comments
पल में शोहरत गर पानी है,बात अनर्गल बोलो तुम !
ताजमहल से शिव-मंदिर के कारिडोर को खोलो तुम !!
धर्म का सारा सोया सिस्टम,यूँ पल में जग जाएगा !
हर पेपर-हर चैनल में तेरा बयान ही आयेगा !!
खुली-बहस होगी तब सब जन अपना पक्ष सुनायेंगें !
कोई यमन औ जयवंती कुछ राग भैरवी गाएंगें !!
संसद की चौपाल पे फिर तेरा बयान छा जाएगा !
खो जायेंगें मुद्दे सारे - ताजमहल लहराएगा !!
मुद्दे की गर बात कही तो, खुद को हाशिये पर पाओगे !
दो कौड़ी की…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 11, 2015 at 4:00pm — 4 Comments
अर्चक,
अर्चना करता है !
अर्धांगिनी से,
अराग होकर !
अल्लाह,
दे दे अवकाश मुझे,
इस अवदशा से !
अवर्ण्य हैं,
इनके…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 10, 2015 at 6:30pm — 7 Comments
अपनी मांसल देह का, करे प्रदर्शन नार !
कम कपड़ों में घूम रही, देखो बीच बजार !!
आधुनिकता के नाम पर, देखो ये करतूत !
वस्त्र हैं इसने तज दिए, बस चिंदी संग- सूत !!
लिव-इन-रिलेशन में रहे, देखो नारी आज !
कथा के पचड़े कौन पड़े, जब यों-ही मिले परसाद !!
यों-ही मिले परसाद, रिलेशन महिमां गाओ !
इक से मन भर जाए, तो झट दूजा ले आओ !!
स्वतंत्रता की होड़ में,विवेक गया है छूट !
नारी खुद है लुट रही,औ पुरुष रहा है लूट !!
आज नए इस…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 9, 2015 at 11:30am — 14 Comments
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