For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : इक दिन बिकने लग जाएँगे बादल-वादल सब

इक दिन बिकने लग जाएँगे बादल-वादल सब

दरिया-वरिया, पर्वत-सर्वत, जंगल-वंगल सब

 

पूँजी के नौकर भर हैं ये होटल-वोटल सब

फ़ैशन-वैशन, फ़िल्में-विल्में, चैनल-वैनल सब

 

महलों की चमचागीरी में जुटे रहें हरदम

डीयम-वीयम, यसपी-वसपी, जनरल-वनरल सब

 

समय हमारा खाकर मोटे होते जाएँगे

ब्लॉगर-व्लॉगर, याहू-वाहू, गूगल-वूगल सब

 

कंकरीट का राक्षस धीरे धीरे खाएगा

बंजर-वंजर, पोखर-वोखर, दलदल-वलदल सब

 

जो न बिकेंगे पूँजी के हाथों मिट जाएँगे

पाकड़-वाकड़, बरगद-वरगद, पीपल-वीपल सब

 

आज अगर धरती दे दोगे कल वो माँगेंगे

अम्बर-वम्बर, सूरज-वूरज, मंगल-वंगल सब

----

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:53pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. गोपाल नारायन जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:51pm
तह-द-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ, आ. बागी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:49pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. मिथिलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:47pm
शुक्रिया वीनस भाई
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:47pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. राजेश कुमारी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:45pm
शुक्रिया आ. उमेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:43pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. समर साहब।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:41pm
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आ. गिरिराज जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 18, 2015 at 4:40pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. विजय शंकर जी
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 4:44pm

आ० धर्मेन्द्र जी

क्या कहने  ! सुन्दर - वुन्दर , गजल वजल सब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service