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माँ छोटू के सो जाने के बाद भी उसे देर तक जगाती, किचेन से दूध का एक बड़ा भरा गिलास जबरदस्ती पकड़ाते हुए कहती,जल्दी पी जा नहीं बुढ़िया आ जाएगी.! और छोटू डर के मारे एक ही साँस में पूरा दूध पी जाता ! छोटू बड़ा हो गया है, माँ की अवस्था हो चली है ! माँ बीमार रहती है डॉक्टर ने दवाइयों के साथ दूध पीने को भी कहा है ! माँ दूध नहीं पीती तब छोटू माँ से कहता "माँ जल्दी दूध पी जाओ नहीं बुढ़िया आ जाएगी.! माँ उसके बालपन पे मुस्कराती है और धीरे-धीरे पूरा दूध पी जाती है.!

-जीतू 
मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 18, 2015 at 3:46pm

सहज सरस आत्मीय भावदशा को शाब्दिक करती इस लघुकथा के लिए हृदय से शुभकामनाएँ, भाई जीतेन्द्र उपाध्यायजी.
आपकी प्रस्तुति में माँ-पुत्र के बीच का अनन्य सम्बन्ध पूरी गहनता से साझा हुआ है.

अलबत्ता, इसे पोस्ट करने के समय सावधानी बरतनी थी. वाक्यों में सभी शब्द आपस में गुँथ गये हैं.
शुभ-शुभ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 13, 2015 at 11:23am

बहुत सुंदर लघुकथा. बधाई आदरणीय जीतू जी

Comment by Jitendra Upadhyay on May 13, 2015 at 10:40am
Dhnywad Bhandari sir sadar abhar !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 12, 2015 at 9:35am

बहुत खूब आदरनीय जितेन्द्र भाई , माँ बेटे के सम्बन्धो मे आज  एक उजला पक्ष देख के बहुत अच्छा लगा ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

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