For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छत्तीसगढ़ में शराब की अवैध बिक्री एवं दुकानें बंद कराने को लेकर पिछले कुछ महीनों में अनेक आंदोलन हो चुके हैं। कई जगहों पर शराब के खिलाफ अवाम लामबंद नजर आ रहे हैं और देखा जाए तो एक तरह से राज्य में शराब बंदी की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। छग सरकार द्वारा बीते माह प्रदेश की 250 शराब दुकानों को बंद करने का जो निर्णय लिया गया है, उसे इसी तरह जोड़कर देखा जा रहा है। शराब की अवैध बिक्री की आ रही शिकायत तथा दुकानों को बंद कराने की लगातार आ रही मांग के मद्देनजर, सरकार ने 2 हजार से कम आबादी वाले गांवों में जनहित में दुकानें कम करने का फैसला लिया। वैसे पहले 3 सौ दुकानों को बंद करने की बात सामने आई थी, बाद में राज्य के सरहदी इलाके की 50 दुकानों को अलग रखी गई। जो भी हो, जैसे ही राज्य सरकार ने प्रदेश में एकाएक शराब दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया, वैसे ही प्रबुद्ध लोगों ने खूब सराहना की। हालांकि एक सवाल लोगों के जेहन में था कि सरकार ने 250 दुकानें तो बंद कर दी हैं, मगर जिस तरह गांवों की गलियों में अवैध मदिरालय खुल गए हैं, उस पर लगाम कैसे लगेगी और कौन लगाएगा ? यह बात किसी से छिपी नहीं है कि शराब के कारण अपराध में वृद्धि हो रही है, साथ ही लोगों के पारिवारिक व आर्थिक हालात भी बिगड़ रहे हैं।

प्रदेश में बढ़ती अवैध शराब की बिक्री का मुद्दा समय-समय पर उठता रहा और यह बात भी सामने आती रही कि आबकारी अधिनियम में व्याप्त शिथिलता के कारण गांव-गांव में शराब की बिक्री को बल मिल रहा है। एक अरसे से आबकारी अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। यही कारण है कि राज्य सरकार ने जिस तरह सख्ती से 250 शराब दुकानों को बंद करने का फरमान जारी किया है, कुछ उसी तरह हाल ही में छग विधानसभा के बजट सत्र में आबकारी अधिनियम में संशोधन विधेयक पेश किया गया। जानकार कहते रहे हैं कि आबकारी नीति में व्याप्त खामियों के कारण ही अवैध शराब की बिक्री पर तमाम कोशिशों के बाद भी रोक नहीं लग पा रही है। शराब बिक्री को रोकने कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें आने, पुलिस व आबकारी विभाग के अफसरों द्वारा रोना रोया जाता रहा है। जिसका परिणाम यह रहा है कि गांव-गांव में अघोषित रूप से शराब दुकानों की कमी नहीं रही। शराब की बढ़ती अवैध बिक्री के मामले में सरकार, विपक्ष के निशाने पर रही और विपक्ष ने प्रदेश में शराब के गोरखधंधे को अपराध के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भी गिनाया। सरकार ने शराब की अवैध बिक्री पर लगातार घिर रही थी। सरकार ने जनहित की बात करते हुए प्रदेश की एक हजार से अधिक शराब दुकानों में से 250 दुकानों को बंद कर दिया, किन्तु अवैध बिक्री का मुद्दा, सरकार के गले की हड्डी बन गया। ऐसे में सरकार को कोई बड़ा निर्णय लिया जाना स्वाभाविक था।

सरकार ने इस बजट सत्र में आबकारी अधिनियम में सजा व जुर्माने में और कठोर प्रावधान करने के ध्येय से विधानसभा में विधेयक पेश किया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि अब 25 लीटर के बजाय, 5 लीटर अवैध शराब मिलने पर कड़ी कार्रवाई हो सकेगी। इस मामले में पहले यही व्यवहारिक दिक्कतें सामने आती रहीं हैं कि शराब के कोचियों से 25 लीटर तक शराब नहीं मिलते थे और वे महज कुछ जुर्माना के बाद मामले से छुटकारा पा जाते थे, मगर आबकारी अधिनियम में संशोधन होने से स्थिति कुछ अलग नजर आएगी। साथ ही कार्रवाई में भी अफसरों को प्रकरण बनाते बनेगा, नहीं तो पहले कार्रवाई कहने भर के लिए ही होती थी, क्योंकि शराब कम मिलने से इस गोरखधंधे में लिप्त व्यक्ति को सजा नहीं मिल पाती थी। संशोधन के बाद अधिनियम में जिस तरह के प्रावधान तय किए गए हैं, उससे तो निश्चित ही अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगेगी और ऐसे कृत्य में संलिप्त लोगों के मुश्किलें बढेंगी। संशोधित अधिनियम के अनुसार धारा 34 में एक माह से 6 माह की सजा को बढ़ाकर, अब 6 माह से 2 साल एवं जुर्माना 5 हजार से 25 हजार रूपये के बजाय अब 10 हजार से 50 हजार रूपये बढ़ा दिया गया है। साथ ही धारा 34 की उपधारा 1 में 6 माह की सजा के बजाय 1 वर्ष की सजा तथा 10 हजार से 1 लाख रूपये के जुर्माने को बढ़ाकर 20 हजार से 2 लाख रूपये किया गया है। इसके अलावा धारा 36 में 6 माह की सजा के प्रावधान को बढ़ाकर 5 वर्ष तक करने एवं जुर्माना 1 हजार से 1 लाख को भी बढ़ाकर 5 लाख बढ़ाने का मसौदा तैयार किया गया है।

यही नहीं, अब सार्वजनिक जगहों पर बेरोकटोक जाम छलकाने वालों की भी खैर नहीं, क्योंकि संशोधित अधिनियम में ऐसे कृत्य में संलिप्त पाए जाने पर सजा व जुर्माने को बढ़ाया जाएगा। कुल-मिलाकर कहा जा सकता है कि अधिनियम में जिस तरह का बदलाव किया जा रहा है, वह काबिले तारीफ है, क्योंकि इन कड़े प्रावधानों के लागू होने के बाद अवैध शराब बिक्री करने वालों की कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। अब यह देखने वाली बात होगी कि कल तक अधिनियम में खामियों की बात कहने वाले अफसरों के लंबे हाथ शराब के गोरखधंधेबाजों तक पहुंच नहीं पाते थे, वह कहां खड़े नजर आते हैं ? या, यूं कहें कि जैसा चलता था, वैसा ही चलता रहेगा ? यह देखने वाली बात होगी कि सरकार किस तरह कदम उठाती है, लेकिन हां, इतना जरूर है कि प्रदेश की 250 दुकानें बंद हुई हैं तथा अब अधिनियम के मसौदे को बदलने, जितनी सख्ती के साथ निर्णय लिया गया है। निश्चित ही यह प्रदेश की जनता के हितों के लिए सही कदम है।


राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714

Views: 267

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 9:35am
जनता यदि चाह ले तो समाज से सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है और सरकार को न चाहते हुए भी जनता के मांग के अनुरूप कार्य करना ही होगा | सुंदर और सार्थक आलेख हेतु बधाई राजकुमार जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service