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व्यंग्य - फेकोलॉजी के फायदे

हाल के कुछ बरसों में अंग्रेजी ने अपनी खासी पैठ जमायी है, मगर वहीं हिंग्लिश का भी गुणगान चरम पर है। जहां देखें, वहां इंग्लिश नहीं, हिंग्लिश का जलवा। अंग्रेजी में कई लॉजीकल तथा लॉजी से जुड़े विषयों एवं तथ्यों के बारे में अक्सर पढ़ने को मिलता है। मसलन, सोशियोलॉजी, एस्ट्रोलॉजी, ऑडियोलॉजी, टेक्नालॉजी समेत तमाम इंग्लिश डिक्शनरी में शब्द हैं, जिनके हिन्दी में अपने मायने व अर्थ हैं। जब इंग्लिश के साथ हिंग्लिश का खुमारी चढ़े तो जाहिर है, कुछ तो संकर वर्ण पैदा होंगे ही। ऐसा ही एक शब्द लोगों की बोलचाल में इजात हुआ है, फेकोलॉजी। यह एक ऐसा शब्द है, जो डिक्शनरी में कहीं भी नहीं मिलेगा, किन्तु अधिकतर मौके पर फेकोलॉजी का प्रयोग होता है। मैं कहता हू, क्यों न, फेकोलॉजी को अब डिक्शनरी में शामिल कर लिया जाए, क्योंकि फेकोलॉजी को बातूनी जीवन में आकंठ उतारने वालों की कमी नहीं है। इंग्लिश के साथ जब हम हिंग्लिश के अनेक शब्दों को आत्मसात कर सकते हैं, तो फिर फेकोलॉजी को अभयदान देने में क्यों पीछे हट सकते हैं ?

मेरे हिसाब से फेकोलॉजी से विरले ही अछूते रह पाते हैं। जहां-कहीं चर्चा शुरू होती है, फिर फेकोलॉजी की पकड़ मजबूत हो जाती है। अपनी बात को मनवाने तथा खुद को तिसमारखां साबित करने के लिए फेकोलॉजी में महारत हासिल होना जरूरी है। हर व्यक्ति फेकोलॉजी में दूसरे को पछाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ता। पूरी दमखम लगाने के बाद भी कोई आगे निकलने की कोशिश करता है तो फिर फेकोलॉजी का अचूक फण्डा कारगर साबित होता है। अभी परीक्षा का मौसम है, ऐसे में फेकोलॉजी ही सभी के प्रिय टॉपिक हैं और इसके चाहने वालों की कहीं कमी दिखाई नहीं देती। जिसने फेकोलॉजी पर विश्वास कर लिया, समझो उसका बेड़ा पार। मानो, हर जगह ऐसे ही लोगों का बोलबाला है। सब कहते हैं कि दुनिया गोल है, मगर जब कोई फेकोलॉजी का स्पेश्लिस्ट अपने पर उतर आए तो वह साबित कर सकता है कि दुनिया तिरछा है, या फिर लंबा है ? कहने का मतलब है, फेकोलॉजी की हर बात में दमखम होता है। तभी तो फेकोलॉजी का शिकार देश की जनता भी है। जो भी सत्ता की कुर्सी पर बैठता है, वह फेकोलॉजी के जतन से उबर नहीं पाता। पांच बरसों तक केवल फेकोलॉजी के सहारे ही जनता तमाशबीन बनी रहती है, सब फेकोलॉजी का कमाल है ?

बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना ही फेकोलॉजी का पहला गुणसूत्र है। मैंने भी महसूस किया है कि फेकोलॉजी में परिपक्व होना जरूरी है, क्योंकि इसके बगैर आप किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। किसी को ठग नहीं सकते। अपने घटिया उत्पाद उंची कीमत पर बेच नहीं सकते। जो काम किसी भी पैतरे से पूरे नहीं होते, समझो उसका एक ही उपाय है, फेकोलॉजी। फेकोलॉजी की दुनिया अपरंपार है, हर कोई फेकोलॉजी के दीवाने हैं। जिस किसी को यह बीमारी लग जाती है, उसकी जुबान की गाड़ी सौ से ज्यादा की स्पीड में दौड़ने लगती है।

एक बात और है, जब भी लगता है, कोई अपने पर हावी हो रहा है, तो फिर टिका दो फेकोलॉजीे। जब बातूनी मैदान में फेकोलॉजी उतरती है, उसके बाद तो कोई आगे-पीछे ठहरता ही नहीं। फेकोलॉजी का शिकार व्यक्ति की मानसिकता ऐसी हो जाती है, जैसे वही दुनिया का अंतिम व आखिरी चतुराई का जीता-जागता उदाहरण है। मुझे लगता है कि आप भी नजरें इनायत करें तो ऐसे अनगिनत फेकोलॉजी के महारथी मिल ही जाएंगे ? क्या कहते हैं, आप ?


राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 098934-94714

Views: 506

Comment

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Comment by Rajeev Kumar Pandey on April 14, 2011 at 4:51pm
bhut hi achhi rachna hai lekin vayngay khi khin baton ko jarurat se jyada explain kar diya gya hai . waise utni baton ko chhod den to nyi bilkul alag trah ki
Comment by Abhinav Arun on April 4, 2011 at 9:41am
बढ़िया व्यंग्य !!!! समाज को आईना दिखाते विचार शुभकामनाएं !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 8:56am

राजकुमार जी, आपने फेकोलाजी पर बहुत ही बढ़िया फेका है, हमारे आस पास इस तरह के बहुत सारे फेकोलाजिस्ट मिल जायेंगे जिन्हें इस विधा में महारत हासिल होता है, यदि आप इनके फेक को अपने लोजिक से मात करने का प्रयास करते है तो उनके एक और गुण से आपको परिचय हो जायेगा, और वह गुण है "थेथ्रोलाजी"

फेकोलोजी से आप बच भी जाये पर थेथ्रोलाजी से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है |

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