For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाम और काम का संबंध

ये नाम और काम का संबंध बड़ा नाजुक है

बड़े हिसाब किताब के बाद ही इनके संबंध स्थापित करने चाहिए

अब खुद ही देख लो

भ्रष्टाचारियों को भी नेता कहना पड़ता है

और दलालों को पत्रकार

गुंडों को रक्षक, और जो पकड़ा गया बस वो ही भक्षक

 

किसी ने कहा नाम में क्या रक्खा है

अरे भाई ! नाम का ही तो सारा काम है

और जिसका नाम नहीं उसकी जिंदगी हराम है

 

पांच सो का जूता दो हज़ार में बिकता है नाम की बदोलत

कल का लोंडा संसद में घुसता है नाम की बदोलत

मूड भी होशियार दिखता है (बाप के) नाम की बदोलत

फ़ोकट का आरक्षण मिलता है (उप) नाम की बदोलत

 

तो भईया, आज से नाम को हल्के में मत लेना

नाम और काम का संबंध ऐसे ही ना जोड़ देना

जैसे आजकल विवाह संबंध जोड़े जाते हैं

बस यही है मेरा कहना..

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on April 25, 2011 at 10:05am
धन्यवाद लाता जी
Comment by Lata R.Ojha on April 22, 2011 at 11:50pm
kya vyang hai :) waah  Bhaskar ji ..badhai :)
Comment by Bhasker Agrawal on April 16, 2011 at 11:19pm
बहुत बहुत धन्यवाद सभी को :)
Comment by Rash Bihari Ravi on April 15, 2011 at 7:16pm
बहुत बढ़िया लिखा आपने भास्कर भाई .
इस लिए ये मैं कहता हु ,
कुछ लोग हराम के खाकर भी नाम कमाते हैं ,
कुछ लोग नाम के वजह से हराम के खाते है ,

Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 15, 2011 at 6:14pm
bahoot khoob bhaskar bhai....achchhi kahi ....naam me hi sab kuchh hai achchhe vyang ke liye badhai ..

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2011 at 9:12am

नाम और काम का संबंध ऐसे ही ना जोड़ देना

जैसे आजकल विवाह संबंध जोड़े जाते हैं,

 

बहुत खूब भाष्कर भाई , इस रचना के बाद अब शायद ही कोई कहे की नाम में क्या रखा है ? सुंदर रचना , बधाई | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service