For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।

2122 2122 2122 212

तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।
तुम मिले तो जिन्दगानी जिन्दगानी सी लगी।

तुम मिले तो आज ये दुनिया सुहानी सी लगी।
तुम मिले तो सच मुहब्बत जाविदानी सी लगी।

तुम मिले तो दिल के हर इक मोड पर खुशियाँ सजी।
तुम मिले तो साँस सुख की राजधानी सी लगी।

तुम मिले तो प्यार का हर एक किस्सा दिलरुबा।
मुझको अपनी और तेरी ही कहानी सी लगी।

जब तुम्हें पहली दफा देखा मेरे जज्बात ने।
तुम कोई पिछले जनम की जानी जानी सी लगी।

तुम मिले तो चाँदनी,खुशबू,कली,शबनम,फिजा।
सच कहूँ सब ही तुम्हारी नौकरानी सी लगी।

इस कदर 'राहुल' तुम्हारे प्यार में पागल हुआ।
तुमको देखा तो उसे तुम भी दीवानी सी लगी।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 12:15pm
और अच्छी
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 12:15pm
हाहाहा आदरणीय आप खुश तो हुए न। बस आपका स्नेह यूँ मिलता रहे तो एक दिन और गजल कह पाउगां । सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 12:02pm

भाई, मैं आप पर कहाँ खुश हुआ .. मैं तो ग़ज़ल और इसकी मासूमियत पर प्रसन्न हो रहा हूँ. :-))

आपसे पूर्ववत प्रयासरत रहने की अपेक्षा है .. 

हा हा हा...

शुभ-शुभ

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 11:59am
मेै कलम से अपने गुनीजनों का दिल खुश कर पाया यही मेरे लिए विशेष उपलब्ध है । यह जान कर मैं अति खुशी हो रही।
प्रणाम आदरणीय मंच को ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 11:51am
आदरणीय सौरभ जी आप खुश हुए यानि कि मैं सफल हुआ।
बहुत बहुत आभार ।
बस आपका स्नेह यूँ ही मिलता रहे। सादर प्रणाम ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 11:25am

राहुल भाई, वाह ! 

आपकी इस कोशिश ने खुश कर दिया. सहज ढंग से बातें कहते हुए आप कितना मुखर हैंं ! बधाई !!

शुभेच्छाएँ

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 6:43pm
आदरणीय मदन जी धन्यवाद । पर आपने यह रचना यहाँ क्यूंपोस्ट की है। सादर ुो
Comment by Madan Mohan saxena on September 8, 2015 at 5:21pm

तुझे पा लिया है जग पा लिया है
अब दिल में समाने लगी जिंदगी है

कभी गर्दिशों की कहानी लगी थी
मगर आज भाने लगी जिंदगी है

समय कैसे जाता समझ मैं ना पाता
अब समय को चुराने लगी जिंदगी है

कभी ख्बाब में तू हमारे थी आती
अब सपने सजाने लगी जिंदगी है

तेरे प्यार का ये असर हो गया है
अब मिलने मिलाने लगी जिंदगी है

मैं खुद को भुलाता, तू खुद को भुलाती
अब खुद को भुलाने लगी जिंदगी है

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 10:44am
आदरणीय shree suneel जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 8, 2015 at 10:44am
आदरणीय समर साहब जी बहुत बहुत आभार ।सब आपका आशिर्वाद है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service