For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहर में आ गया पर भूला नहीं गाँव दोस्तों

२१२२ १२२२ २१२२ १२१२

शहर में आ गया पर भूला नहीं गाँव दोस्तों 

भूल सकता नहीं पीपल की मैं वो छाँव दोस्तों 

खेल के नाम पे होती है सियासत ही बस यहाँ 

चल नहीं सकता मेरा कोई यहाँ दाँव दोस्तों 

सजदा करने में भी आती है शरम सबको आजकल 

कोई बूढों के झुक के छूता नहीं पाँव दोस्तों 

माँ ने जिस बाँध के सहरा है बसाया मेरा जहाँ 

मैं उसी माँ की भी बैठा ही नहीं ठाँव दोस्तों 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 6, 2015 at 12:51pm

प्रिय कृष्णा जी ..आप सब के इस स्नेह से ही मन कुछ न कुछ लिखने को प्रेरित करता रहता है ..रचना पर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 6:15pm
कठिन काफिये में..बेहतरीन गजल कही है आदरणीय आशुतोष सर..शेर दर शेर दाद काबुल फरमायें।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 5, 2015 at 12:41pm

आदरणीय डॉ रूपेंद्र जी ..रचना को आपका स्नेह मिला इससे मुझे रचनाधर्मिता की उर्जा मिली है ..आपको सादर धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 5, 2015 at 12:39pm

आदरणीय श्याम जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 5, 2015 at 12:39pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ, बहर के बिषय में मुझे भी जानकारी नहीं है बिद्वत जनो की प्रतिक्रिया से ही जानकारी होगी ..उसकी प्रतीक्षा रहेगी सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr.Rupendra Kumar Kavi on October 3, 2015 at 5:04pm
kya khoob likha hai janab ne
Comment by Shyam Narain Verma on October 3, 2015 at 2:53pm

"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 1:35pm

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ! बहर मान्य है नहीं मै नही कह सकता , मै पहली बार इस बहर मे गज़ल पढ़ रहा हूँ , जानकार ही बता सकते हैं ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2015 at 9:56am

महर्षि जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2015 at 9:55am

आदरणीय डॉ कँवर जी ..रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से मैं उत्साहित हूँ स्नेह यूं ही बनाये रखियेगा सादर धन्यवाद के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service