For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

         

           "क्या मम्मी आप भी जरा-जरा सी बातों पर तुनक पड़ती हो,पूरा आसमान सिर पर उठा लेती हो.पापा के दोस्तों के बीच में ही तो थीं आप   वे लोग कोई जानवर तो नहीं,हँसी-मजाक ही तो किया चीर हरण तो नहीं.."सुनकर खून उतर आया था उसकी आँखों में,अपनी ही लाठी,अपने पर वार,तिलमिलाते हुए पलकें बंद कर ली तो दर्द आंसू बन बह निकला.वह सोचने लगी,

     'उम्र की पहली फसल बाबा की अँगुलियों में अटक गई,सतरंगी सपने उड़े भी न थे कि उम्र की दूसरी फसल बिन हवा-पानी घूँघट में उजड़ गई और तीसरी को तो चौराहे पर ही चरने के लिए रख दी गई और अब तो उम्मीद की चौथी फसल भी हाथ से फ़िसल गई.'मन ही मन वह बुदबुदाई "अपनी ही बिछाई बिसात है, अपने ही मोहरों से पिटना -उजडना युगों का इतिहास है.अत;अब भी सांस लेनी सूरज के अंत तक.  

    { मौलिक एवंम अप्रकाशित रचना }

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Janki wahie on November 1, 2015 at 5:40pm
अद्भुत प्रतीकात्मक ,कथा बधाई।
Comment by savitamishra on November 1, 2015 at 3:26pm

बहुत सुन्दर कल्पना में ढाला आपने जिंदगी के चार पढ़ाओ को...जैसा कि हम दो बार पढ़ फिर समझे ..गलत समझे या सही पता न...सादर _/\_

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 3:10pm

बहुत-बहुत शुक्रिया कल्पना जी उत्साह वर्धन के लिए..आभार.

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 3:08pm

बहुत-बहुत धन्यवाद नीता जी,आपके शब्द उर्वरक का कार्य करते हैं...आभार.

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 3:05pm

हार्दिक आभार आद० कांता जी रचना को समय देने और समीक्षात्मक टिपण्णी देने के लिए.

Comment by Nita Kasar on November 1, 2015 at 1:43pm
अपनी ही बेटी के लिये माँ का इतना आहत होना चिंताजनक है ये पीढ़ी नयी हवा ही क़सूरवार है ये संस्कारों की सौग़ात कदाचित नही,संगत का असर है।माँ ने भी तो ये समय निकाला है ।माँ के मन की पीड़ा की सुंदर अभिव्यक्ति बधाई आद०आद०आशा जुगरान जी ।
Comment by kanta roy on November 1, 2015 at 12:03pm

वाह !!! नारी जीवन की विसंगति को आपने ये कितनी गूढ़ता से सजीव चित्र दे दिया है आदरणीया आशा जी ,पढ़ते ही मेरा मन भी तिलमिला उठा।  दार्सनिक भाव में अदभुत चित्रण।  बधाई स्वीकार करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service