वो कहते हैं तू कट्टर (पत्थर) है
बहर:-1222-1222-1222-1222
नहीं मिलती तबीयत तो ,वो कहते हैं तू पत्थर है
मगर जाना नही उसने, की कितना मन समंदर है
हुई हरकत बुरी हमसे ,बदलने की जो कोशिस की
तभी मालुम हुआ हमको, खिलाड़ी तो सितमगर है
सिला अपनी मुहब्बत का,लिखा पन्ने पे जब मैंने
खुदा भी रो पड़ा बोला, धरा का तू सिकंदर है
जो मुंसिफ घर गया उनके, उधारी में दिया लेने
चिरागां हंस के बोला तब,अँधेरा तेरे अंदर है
बताओ रास्ता मुझको ,हवा पानी जरा बोलो
लुटा हूँ मैं मुहब्बत में ,मुहब्बत क्या बवंडर है
अप्रकाशित/ मौलिक
आमोद बिंदौरी
Comment
आदरणीय , आपको हर प्रशन का जवाब मिल जायेगा और गलतियाँ भी कम हो जायेंगी अगर आप - इस लिंक मे जा कर गज़ल के विषय में दी गई जानकारियों का अध्यनयन कर लें , इसी मंच मे विस्तृत जानकारी ' गज़ल की बातें ' मे दी गई हैं , लिंक नीचे दे रहा हूँ -
http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn , दो चार बार सभी पाठों को पढ़ लें , आप स्वयं सब समझ जायेंगे ।
आ. आमोद भाई , सही वर्तनी शब्द की - मालूम = 221 है , आपने- मालुम 22 ले लिया है , इसी बात की तरफ आ. मिथिलेश भाई ने इशारा किया है ॥
नहीं मिलती तबीयत तो ,वो कहते हैं तू पत्थर है
मगर जाना नही उसने, की कितना मन समंदर है----वाह !!! क्या खूब लिखते है आप आदरणीय आमोद जी , बहुत खूब ! पढ़कर मन आनंद हो गया। बधाई हो।
आदरनीय आमोद भाई , गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई , आ. मिथिलेश भाई जी की बात का ख़याल कीजियेगा ।
आदरणीय आमोद जी बह्र-ए-हजज़ को खूब निभाया है इस मिसरे //तभी मालुम हुआ हमको, खिलाड़ी तो सितमगर है// को देख लीजियेगा. बहुत बहुत बधाई . सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online