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मुहब्बत का शहर हु मैं..

मुहब्बत का शहर हूँ मैं
बहर :- 1222-1222-1222-1222

मुहब्बत का शहर हूँ मै मुझे बस प्यार होता है
मगर तनहा वही होता है जो खुद्दार होता है


शिकायत है मुहब्बत की की जो रूठा नहीं लौटा
सियासत है कि फितरत है नही ऐतबार होता है

कभी मिटता नहीं दिल से मुहब्बत का वो पहला गम
के दिल में बस गया कुछ भी नही उपचार होता है

अगर पतझड़ जो आया है तो हिस्से में बहारे हैं
ये किस्मत तब पलटती है जहाँ मजधार होता है

बदलता रुख हवाओं का जरा पहचान भी लो तुम
समय इक सा नही सबका साजन हर बार होता है

जरा चटपट जरूरी है ये रंगीन जीवन भी
कभी मजमा कभी आँशु कि क्या श्रृंगार होता है

बुरा अपना ये मजहब है ये कत्ले आम जनता का
ओ बिंदौरी सियासत में नही कोई यार होता है

मौलिक /अप्रकाशित

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Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 3:09pm
शिकायत है मुहब्बत की क़े जो रूठा नहीं लौटा
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 3:09pm
जी सर नमन
सर क़े शब्द की दो बार हुआ है वो टंकण त्रुटि हुई है क्षमा चाहुगा
Comment by Ravi Shukla on November 2, 2015 at 3:04pm

आदरणीय आमोद जी ग़ज़ल के लिये दिली बधाई स्‍वीकार करें

शिकायत है मुहब्बत की की जो रूठा नहीं लौटा दूसरा की शायद गलत प्रिंट हो गया है कि होना चाहिये
सियासत है कि फितरत है नही ऐतबार होता है

इसी तरह साजन का भी सजन होने से बहर मे फिट हो रहा है

सुरीले रुक्‍न को निभाने के लिये आपको बधाई

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 3:01pm
आ मिथलेश सर आप को सादर नमन हर पोस्ट पर आप का प्यार पाकर ऊर्जा मिलाती है
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 3:00pm
सर आप का प्यार और स्नेह है इसी मंच से सीख रहा हूँ । रवी सर और गिरिराज सर की निगरानी में ।।।और आप तो जानते है की मैं अभी भी नया ही हु।।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 2, 2015 at 2:30pm

आदरणीय आमोद जी इस आहंगखेज बह्र को आपने खूब निभाया है. हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 

कृपया ध्यान दे...

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