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आदरणीय आमाेद जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है बधाई स्वीकार करें मेरी विनम्र राय के अनुसार इस ग़ज़ल में ई का काफिया और है आप की रदीफ हो रही है इस लिहाज से मतले के उला में जिंदगी है एक वचन और सानी मे लिखी हैं बहुवचन हो रहा है इसी प्रकार आगे के शेर में कुछ जगह ऐसा है । इनको और टंकण की कुछ त्रुटियों को और सुधार ले तो क्या खूब बयान हो जाएगा ये रुक्न है ही ऐसा
वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की ... इस शेर के भाव को महसूस ही किया जा सकता है क्या बात है आमोद जी बढि़या ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय आमोदजी हार्दिक बधाई. आदरणीय शिज्जु जी कि बात पर गौर कीजियेगा.
लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचना है।
कुछ पुरानी गर्त लिपटी ........चिट्ठी छिपी है आपकी। बेहतरीन पंक्तियां । बधाई।
है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की----वाह !!! बहुत ही गहरी शेर बनी है। लाज़वाब !!
प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की------ क्या कहने है ,बेहतरीन !!!!
ढेरों बधाई आपको आदरणीय अमोद जी।
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