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लोग कहे ला नारी , सब के ऊपर भारी ,

लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
उनका के उ ना समझले ,
जे रहले अवतारी ,
लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
कम करावे के होखे ता ,
रूप के जादू जाने ली ,
अलग अलग रूप में इ ,
अपना के ऊपर माने ली ,
बहिन बन के खूब खेलावास ,
माई बारी इ दुःख हारी ,
लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
मेहरी बन के आवेली ,
मनवा के लोभावे ली ,
इ चाहिआं त जनम सार्थक ,
न त नरक बनावे ली ,
कही कही बारी कलंकनी ,
कही मनो हारी ,
लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:26pm
सुन्दर!!! नारी के विभिन्न रूपों का सुन्दर वर्णन|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 27, 2010 at 9:40am
इ चाहिआं त जनम सार्थक ,
न त नरक बनावे ली ,

गुरु जी रौवा बिलकुल सही लिखले बानी आ बहुत ही सुन्दरता आ खूबसूरती से नारी के महिमा के वर्णन कैले बानी, कहल भी गइल बा की नारी नारायणी होली वू चाह देस त घर स्वर्ग से सुन्दर बन जाई आ चाह देस त नरक से बदतर,
एक बार फिर राउर सुन्दर कविता पढे के मिलल, धन्यवाद,

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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