For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिश्तों की नई परिभाषा ( आज के सन्दर्भ मे )

(१)
शादी ....
समझौते की गाडी मे
स्नेह की सीट पर बैठकर
अंतिम स्टेशन तक
पहुचने की चाह रखने वाले
दो सहयात्री ॥

(२)
गर्लफ्रेंड -बॉय फ्रेंड का प्यार .....
कसमों - वादों की सिलवट पर
लुका -छिपी की नमक के साथ
पिसी गई
मुस्कराहट की चटनी ॥

(३)
पत्नी का प्यार ........
उबड़ -खाबड़ रास्तो पर
रातों को उगने वाला
गंध -विहीन
कैक्टस के फूल
सूघने जैसा ॥

(४)
शाली (पत्नी की छोटी बहन ) का प्यार.....
रूपये की भट्टी पर
सेंकी गयी रोटी का
फूलों की शहद के साथ
खाने का मजा ॥

(५)
माँ का प्यार .....
अस्थियों के हवन मे
वात्सल्य की घी डालकर
तैयार की गई
काजल ॥

(६)
पिता का प्यार ......
स्नेह की मिटटी
लाड -प्यार की हवा
और
पसीने की जल से सिंचित
मह्क्नेवाला फूल ॥

(७)
भाभी का प्यार ......
ममता की चीनी
और
डाट-फटकार की दूध
से बनी
चाय की चुस्की ॥

(८)
बहन का प्यार .......
लाड़-प्यार
और
दुलार के धागों से बनी
एक न टूटने वाली रस्सी ॥

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2010 at 11:36am
पत्नी का प्यार ........
उबड़ -खाबड़ रास्तो पर
रातों को उगने वाला
गंध -विहीन
कैक्टस के फूल
सूघने जैसा ॥
hahahaha, badhiya badhiya likhey hai, bas ek request hai Bhabhi ko mat padhaiyeyga, nahi tooooo...
Comment by Admin on June 19, 2010 at 6:02pm
सब रिश्तो की पोल खोल दी,
कविता के बहाने से,
क्या कहे बब्बन भाई,
अब डर लगता है जमाने से,

सुंदर अभिव्यक्ति,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 18, 2010 at 6:21pm
जो कलियुग में थे अभी, कुछ रिश्ते अंजान
बब्बन भैया धन्य है, करा दिया पहचान

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
29 minutes ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
16 hours ago
Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service