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सरस्वती माँ! शारदे, करूँ वंदना आज।
हर लो तम उर ज्ञान दो, सफल करो सब काज।।
सफल करो सब काज, जननि सुर में बस जाओ।
भर दो नित नव राग, हृदय में ज्योंति जगाओ।।
हरूँ जनों के त्रास, सुखी होए धरती माँ।
ऐसा दो वरदान, जयति जय सरस्वती माँ ।।

-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by रामबली गुप्ता on March 29, 2016 at 12:51pm
आदरेया कांता जी एवं आ.रामा जी और आदरणीय मोहित जी कुण्डलिया पसंद करने के लिए हार्दिक आभार
Comment by kanta roy on March 29, 2016 at 12:05pm

अति  सुन्दर  कुण्डलिया भी  रची  है  आपने  आदरणीय रामबली जी .मंच पर आपके  छन्दों की छटा  तो  देखते  ही  बनती  है  . बधाई  प्रेषित  है  

Comment by Rama Verma on March 19, 2016 at 1:42pm
बहुत सुंदर वंदना

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