गज़ल.....१२२ १२२ १२२ १२२
हमारे घरों का उजाला लिये जो.
हंसीं शशि मलाला सितारा लिये जो.
लड़ी गोलियों से बिना खौफ खाये
खुले आसमां का हवाला लिये जो.
दुआ यदि सलामत कयामत भी हारे
ये तारिख बलन्दी की माला लिये जो.
चुरा कर खुशी ज़िन्दगी लूट लेते-
उन्हीं से मुहब्बत–फंसाना लिये जो.
ये होली-दिवाली मिले ईद-सत्यम
हंसी फाग समरस तराना लिये जो.
सुखनवर....केवल प्रसाद सत्यम
Comment
आ० आमोद भाई जी, प्रणाम...उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर
आ० अमिता जी, प्रणाम...आपका बहुत-बहुत हर्दिक आभार. सादर
आ० रामबली भाई जी, प्रणाम...आपका बहुत-बहुत हर्दिक आभार. सादर
आ० श्याम नारायण भाई जी, प्रणाम...आपका बहुत-बहुत हर्दिक आभार. सादर
उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
बहुत खूब ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ |
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