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ये जमीं से या जाँ से उठता है

फाइलुन फाइलुन मुफाईलुन
(212 212 1222)

ये जमीं से या जाँ से उठता है
जो धुआँ है कहाँ से उठता है

ये जो गर्दो गुबार है क्या है
क्यों ये फिर कारवाँ से उठता है

हर तरफ शोर सा ये है कैसा
क्यों सदा आसमाँ से उठता है

जख्म सीने में पल रहा कोई
दर्द दिल के मकाँ से उठता है

दो कदम साथ क्या चले रहबर
अब धुआँ आँ-जहाँ से उठता है
 
इश्क को उम्र लग गयी शायद
दर्द अब जिस्मो जाँ से उठता है

दर्द को आह से सुकूँ जो है
अब फ़ुगां आसताँ से उठता है

कौन जाये हैं होश में या रब
जब कोई इस जहॉं से उठता है

हेम पूछो न हाल अब क्या है
जान अब नातवाँ से उठता है
- हेम चन्द्र झा (वाराणसी)
  (मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Hem Chandra Jha on April 14, 2016 at 4:28pm

उत्साह वर्धन के लिए हृदयतल से आभार एवं सादर नमन आदरणीय Saurabh सर ! मैं अभी सीखने के क्रम में ही हूँ आगे भी आपके मार्गदर्शन की आवस्यकता रहेगी 

Comment by Hem Chandra Jha on April 14, 2016 at 4:22pm

उत्साह वर्धन के लिए आभार आदरणीय Dr Ashutosh Mishraji जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 12, 2016 at 5:01pm

बहुत खूब ! दाद कुबूल कीजिये.

नक्शेपा शब्द है या नक्शेपाँ ? देख लीजियेगा.

शुभ-शुभ

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 3, 2016 at 6:44pm
सूंदर

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