फाइलुन फाइलुन मुफाईलुन
(212 212 1222)
ये जमीं से या जाँ से उठता है
जो धुआँ है कहाँ से उठता है
ये जो गर्दो गुबार है क्या है
क्यों ये फिर कारवाँ से उठता है
हर तरफ शोर सा ये है कैसा
क्यों सदा आसमाँ से उठता है
जख्म सीने में पल रहा कोई
दर्द दिल के मकाँ से उठता है
दो कदम साथ क्या चले रहबर
अब धुआँ आँ-जहाँ से उठता है
इश्क को उम्र लग गयी शायद
दर्द अब जिस्मो जाँ से उठता है
दर्द को आह से सुकूँ जो है
अब फ़ुगां आसताँ से उठता है
कौन जाये हैं होश में या रब
जब कोई इस जहॉं से उठता है
हेम पूछो न हाल अब क्या है
जान अब नातवाँ से उठता है
- हेम चन्द्र झा (वाराणसी)
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
उत्साह वर्धन के लिए हृदयतल से आभार एवं सादर नमन आदरणीय Saurabh सर ! मैं अभी सीखने के क्रम में ही हूँ आगे भी आपके मार्गदर्शन की आवस्यकता रहेगी
उत्साह वर्धन के लिए आभार आदरणीय Dr Ashutosh Mishraji जी
बहुत खूब ! दाद कुबूल कीजिये.
नक्शेपा शब्द है या नक्शेपाँ ? देख लीजियेगा.
शुभ-शुभ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online