For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदभुत अकथनीय वातावरण

आज भगवान स्वयं घर पधारे हैं ,

चारों –ओर खुशियाँ ही खुशियाँ लाये है

भगवान् या देवी जो भी हों

घर को खुशियों से भर दिया है 

आज अम्बर भी ,देव वियोग में आसूं बहा रहा है

हवायें भी व्याकुल हो

प्रभु को ढूढने चली आ रही हैं

इससे अनभिज्ञ ,अंजान हैं

हमारे छोटे भगवान् जी

घरवालों के प्रान जी

पर क्या इनकी पूजा होगी ?

क्या इनकी किलकारियां ,नटखट अदाएं यूँ ही रहेंगी ?

ऐसा प्रश्न क्यूँ आया

आना चाहिए हम ऐसे ही समाज में तो जी रहे हैं,

जो जल हमारी प्यास बुझाता है

कभी-कभी बाढ़ का खूंखार रूप भी लाता है

सब अपने जन्मदाता जैसे नहीं होते,

कुछ नज़रें शिकार भी ढूढती हैं

जब इंसान के अन्दर का भगवान् मरता है

फिर किसे बच्चों में भगवान् दिखता है

क्या भविष्य है छोटे भगवान् का ?

सरल है ,सीधा है

दरिंदों के चंगुल से कब तक बचेंगे

आज खेल रहे हैं जिसकी गोदी में

उसके अन्दर शैतान पनप रहा है

कुछ समझ भी तो नही सकते

छोटे भगवान् जो ठहरे ,

माँ-बाप को कुछ बयाँ भी नहीं कर सकते

फिर होगा यही,

जहाँ प्यार है ,चंचलता है ,मासूमियत है

वहां अपनों का शिकार बनकर

हँसना ,खेलना भूलकर

सहमे हुए ,दुबककर,पीर सागर के संग

नन्ही आँखों में भयावह मंजर लिए

बैठे होंगे किसी कोने में

छोटे भगवान्

इसी डर में कि कोई अपना,

अपना शिकार न बना ले |

***********************

     

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 328

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on April 14, 2016 at 8:36pm

आ.  सुरेश कुमार 'कल्याण' जी ,रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देने हेतु आपका आभार ,सादर |

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 12, 2016 at 6:04pm
बहुत सुंदर त्रिपाठी जी
आपके छोटे भगवान काबिले तारीफ है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
5 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service