२२१२ २२१ २२२
जय हिन्द की आवाज़ सीमा पर
होगा समर आगाज़ सीमा पर
सुधरेंगे कब हालात सीमा पर
कबतक मरें जाबाँज सीमा पर
जारी रही यूँ सेंध दुश्मन की
बदलेंगे हम अल्फाज सीमा पर
कुर्बा किया है जान वीरों नें
रखकर वतन की लाज सीमा पर
काटेंगे सर-ओ-हाथ दुश्मनों की
पहना शरम का ताज सीमा पर
जबतक रहें यूँ वीर भारत में
तबतक करें हम नाज सीमा पर
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"मौलिक व् अप्रकाशित "
Comment
आदरणीय महर्षि भाई , बहुत सुन्दर देश भक्ति से ओत प्रोत ग़ज़ल कही है , आपको दिली बधाई
बहुत अच्छी गजल प्रस्तुत आपको बधाई
बहुत सुन्दर गजल। ढेरों दाद कुबूल करें। सादर |
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