For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- काम आईँ नही दवाएँ क्यूँ

2122 1212 22

बेअसर हो गईं दवाएँ क्यूँ
काम आईं नहीं दुआएँ क्यूँ

हम ग़लत फ़हमियों में आएँ क्यूँ
दोस्त है वो तो आज़माएँ क्यूँ

आँख तक आँसुओं को लाएँ क्यूँ
ज़ब्त की एहमियत गिराएँ क्यूँ

साँस दर साँस एक ही सरगम
दूसरा गीत गुनगुनाएँ क्यूँ

जिसके सीने में दिल हो पत्थर का
उसकी चौखट पे गिडगिडाएँ क्यूँ

वक्त आने पे जान जाएगा
इश्क़ क्या है उसे बताएँ क्यूँ

हो गईं क्या समाअतें कमज़ोर
कोई सुनता नहीं सदाएँ क्यू

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on May 18, 2016 at 10:13pm
शुक्रिया आशुतोष जी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 18, 2016 at 4:41pm

आदरणीय राहुल जी ..बहुत दिनों के बाद मंच से जुड़ने का मौका मिला ..आपके सुंदर रचना को पढने का भी मौका मिला ..इस रचा के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर 

साँस दर साँस एक ही सरगम
दूसरा गीत गुनगुनाएँ क्यूँ यह शेर बहुत भाया इसके लिए भी बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on May 17, 2016 at 8:24pm
शुक्रिया आदरणीय अनुज जी
Comment by Anuj on May 17, 2016 at 8:20pm

हो गईं क्या समाअतें कमज़ोर
कोई सुनता नहीं सदाएँ क्यू

आदरणीय राहुल जी,

जिस बहरे वक्त में हम जी रहे है उसके लिए ये बेहद सामयिक शेर है.उम्मीद हैआगे भी हमें ऐसे जौहर मिलते रहेंगे.

सादर

Comment by Rahul Dangi Panchal on May 17, 2016 at 1:24pm
आदरणीय मिथिलेश जी शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 17, 2016 at 12:36pm

आदरणीय राहुल भाई जी, बहुत दिन बाद आपकी ग़ज़ल पढने का अवसर मिला है. बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

Comment by Rahul Dangi Panchal on May 16, 2016 at 9:46pm
शुक्रिया आदरणीय गोरखपुरी भाई जी
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 16, 2016 at 9:36pm
वक्त आने पे जान जाएगा
इश्क़ क्या है उसे बताएँ क्यूँ

वाह!बहुत खूब!हार्दिक बधाई आ.राहुल डांगी जी।
Comment by Rahul Dangi Panchal on May 16, 2016 at 4:39pm
शुक्रिया आदरणीया राहिला जी
Comment by Rahul Dangi Panchal on May 16, 2016 at 4:38pm
शुक्रिया आदरणीय समर साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service