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स्मृति गीत: हर दिन पिता याद आते हैं... संजीव 'सलिल'

स्मृति गीत:



हर दिन पिता याद आते हैं...


संजीव 'सलिल'


*


जान रहे हम अब न मिलेंगे.


यादों में आ, गले लगेंगे.


आँख खुलेगी तो उदास हो-


हम अपने ही हाथ मलेंगे.


पर मिथ्या सपने भाते हैं.


हर दिन पिता याद आते हैं...


*


लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.


कर न सकूँ इनकी पैमाइश.


ले पहचान गैर-अपनों को-


कर न दर्द की कभी नुमाइश.


अब न गोद में बिठलाते हैं.


हर दिन पिता याद आते हैं...


*


अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.


नित घर-घाट दिखाए तुमने.


जब-जब मन कोशिश कर हारा-


फल साफल्य चखाए तुमने.


पग थमते, कर जुड़ जाते हैं


हर दिन पिता याद आते हैं...


*

divyanarmada.blogspot.com

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2010 at 9:24pm
आचार्य जी पिता को समर्पित आज के दिवस पर आपने एक बेहतरीन रचना दिया है, जिसकी जितनी तारीफ़ की जाय कम है, बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति, बहुत बहुत आभार ,
Comment by Kanchan Pandey on June 20, 2010 at 9:03pm
Father's Day ko samarpit bahut hi khubsurat rachna hai, bas esi tarah aashirvad detey rahey Sanjiv sir, Thanks,

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