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गंग-जमन मिल जायें ये इच्छा भी है
बम-बन्दूकें लेकर वो बैठा भी है
ठक ठक करते रहना पड़ता है, लाठी
अब शहरों मे सापों का डेरा भी है
सूरज की चाहत पर मर जाने वाला
घुप्प अँधेरों के रिश्ते जीता भी है
जिसे मंच ने कल नदिया का नाम दिया
क्या सच में उसमें पानी बहता भी है ?
बेंत नुमा हर शब्द शब्द है झुका झुका
अर्थ मगर उसका ऐंठा ऐंठा भी है
तू भी तो कुछ अच्छी बातें कह देता
गाँव अगर मेरा है तो तेरा भी है
कुछ तो सूरज भी लगता है अनमन सा
कुछ तो बादल ने उसको घेरा भी है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी, दाद कुबूल करें।
आदरणीय पाठ्कों से निवेदन है कि -- इस मिसरे में --
ठक ठक करते रहना पड़ता है, लाठी -- व्याकरण की गलती है , अतः उसे सुधार कर ऐसे पढ़ने की कृपा करें --
ठक ठक करते रहनी पड़ती है, लाठी -- ये सही है । सादर
आदरणीय सूर्या बाली भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीय विजय भाई , सहम्ति और सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय सतविन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय महेन्द्र कुमार भाई , आपका आभार ।
आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आदरणीय श्याम नाराइन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
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