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क्या हुआ जो मौनी बाबा को आज क्रोध आ गया ? यह चर्चा चारों तरफ हो रही थी। सुबह से गली और चबूतरों पर बैठे लोग आश्चर्य प्रकट कर रहे थे। कि उनके जैसा संत क्यों क्रोधित हो गया। यह चर्चा करते हुए श्री बेनी बाबू ने कहा कि आखिर कोई तो बात ह ोगी िकवे इतने तैश में दिख रहे थे। जनार्दन जी का कहना था कि अरे भाई हो सकता है कि उन्हें या उनको समझाने वाले को कोई गलतफहमी हो गयी हो। इस रविन्द्र नाथ ने अपने जबड़े कसते हुए कहा कि क्या कहा जाय इस तरह से होना गांव की बदनामी का ही सबब हो सकता है । यदि बाबा गांव से जा कर दूसरे गांव में कुछ कहेंगें तो लोग क्या सोचेंगे।


इतने में सोना उधर आता दिखा। उसे देख कर चर्चा करने वालों ने अपने पास बुला लिया। और पूछा कि आखिर तुमने बाबा का क्या काम बिगाड़ा है िकवे इस तरह नाराज हैं। सोना ने कहा कि बाबा जी ने उसे आदेश दिया था िकवह सुबह में मंदिर का कोना कोना साफ करे। और ठाकुर जी के लिए फल व मिष्ठान लावे । सोना का कहना था कि उसने फल व मिष्ठान तो जुटा दिया था। मगर नींद लग जाने के कारण से मंदिर की सफाई में देरी हो चुकी थी। और बाबाजी गगा स्नान कर आने के बाद मंदिर में घुसे और उनको सफाई न होने से क्रोध आ गया। इस पर जनार्दन जी ने सबसे कहा कि हमस ब लोग चल क र सोना की तरफ से बाबा जी से माफी मांग लेते हैं। औ र आज हम सभी उनके मंदिर की सामूहिक सफाई करेंगे।


वे सब लोग बाबा जी के पास पहुंचे और यह विनय सुनाई कि सोना ने अज्ञानता वश जो मंदिर सफाई में आलस का परिचय दिया है उससे आपको हुए कष्ट के लिए हम सभी माफी मांगते हैं तथा आपके मंदिर की सामूहिक सफाई करने देने की अनुमति का आग्रह करते हैं।
संत हृदय नवनीत समाना। जो मौनी बाबा लाल मुख चढाये हुए थे। लोगों के विनय को सुनकर सचमुच नवनीत हो गये। उन्होंने सोना को गले से लगा लिया और सबकोे मंदिर साफ करने की अनुमति दी। वहां उपस्थित सभी जनों ने बाबा के चरण स्पर्श कर श्रमद ान किया।


मौलिक व अप्रकाशित

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