गोलम्बर पर वह खड़ा था। अपनी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया। जब सामने को निगाह फैलाई तो देखता है कि आंख के आगे जो गाड़ी खड़ी है उससे आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। सामने से कुछ गाड़ियां आगे को बढीं लेकिन वह जस का तस ही था। उसकी बाध्यता थी कि वह आगे की गाड़़ी को हटाकर आगे को नहीं जा सकता था। पीछे की तरफ कुछ दूर पर एम्बुलैन्स के हार्न की आवाज सुनाई दे रही थी।
चैराहे पर जाम का दबाव कम हुआ। वह भी आगे बढ़ गया। लेकिन संयोग से उसे थोड़ी दूर जाने पर…
ContinueAdded by indravidyavachaspatitiwari on February 27, 2019 at 4:30pm — 2 Comments
Added by indravidyavachaspatitiwari on March 26, 2018 at 6:14am — 2 Comments
एक पौधा हमने रोपा था
सात वर्ष पहले
सोचा था वह
बढेंगा , फूलेगा, फलेगा।
धीरे-धीरे
उसमें आया विकास का
बवंडर
जो हिला गया
चूल-चूल उस वृक्ष के
जिसके लिए हम सोच रहे थे
कि कैसे उसे जड़ से
उखाड़ फेंके
एक ही झटके से उखड़ कर
धराशायी हो गया
हमने चैन की सांस ली
उस तरफ देखा तो
हमारा पौधा जो
अभी नाबालिग बच्चा था
अपनी हरियाली लिए
धीरे-धीरे झूम रहा था
हमें यह देख कर प्रसन्नता हुयी
उससे आशा की…
Added by indravidyavachaspatitiwari on April 25, 2017 at 7:30am — 2 Comments
सीमा पार से आके तुमने हमको जो ललकारा है
भागो तुम उस पार चलो यह भारतवर्ष हमारा है।
आये दिन जो तुम करते रहते हो उत्पात यहां
अब हम नहीं सहेंगे यह सब यह संकल्प हमारा है।
ऐसा क्या व्यवहार तुम्हारा जो कहके जाते हो पलट
अपनी सीमा पर है नहीं नियंत्रण यह दुर्भाग्य तुम्हारा है।
सरहद पर जो आते हैं करते स्वागत है हम उन का
मित्र तुम्हारे चरणों में यह झुका शीश हमारा है।
आये हो तो रहो यहां होकरके निर्भीक मगर
धोखा देने वालों पर गिरता फिर खड्ग…
ContinueAdded by indravidyavachaspatitiwari on October 15, 2016 at 6:19am — 3 Comments
वह अपने महल के अंदर बैठा हुआ था और अपने साथियों के साथ जश्न मनाने की तैयारी हो रही थी। उसके सैनिकों द्वारा छद्म वेश में जाकर दुश्मन देश के सैनिक अड्डे पर भीषण आक्रमण के परिणाम स्वरूप वहां पर भयंकर तबाही मची हुई थी और उस देश का अगुवा बौखला उठा थां । आज तक उससे कहा जा रहा था िकवह हमारा दोस्त है लेकिन इस तरह से पीठ के उपर छुरा मार कर घायल कर दिया गया था और उसी से वह छटपटा रहा था । उस देश के लगभग 50 सैनिक मौके पर ही मर गये थे। साजो सामान के नुकसान भी करोड़ों के उपर था। उसने अपने अनुचरों को…
Added by indravidyavachaspatitiwari on October 7, 2016 at 1:29pm — No Comments
पहले के जमाने में कुटनी औरते आती थीं और आपका सारा भेद लेकर चली जाती थी। आज भी यह परम्परा बरकरार है। कुछ औरतों का काम है कि अन्य घरों का समाचार लेकर अपने इच्छित स्थानों पर पहुंचाती हैं।और उसके द्वारा संबंधित व्यक्ति का मनमाना नुकसान करती हैं। क्या आज के समाज में ऐसे लोगों का बहिष्कार संभव नहीं है? यदि आप ऐसों से बच जाते हैं तो आगे आप का भला ही भला है।ी
एक ऐसी ही कहानी है कुटनी की जो हमारे गांव की है और आये दिन किसी न किसी के घर में हंगामा बरपा कर ही चैन लेती है। नाम है उसका रेशमी काकी।…
Added by indravidyavachaspatitiwari on July 27, 2016 at 6:30pm — No Comments
बरसात के मौसम में आपको ऐसा लगेगा कि बादल ब्रस रहे हैं ल्ेकिन व्े आपको और साथियों के लंुभाते और बुलाते हैं आप आवें और उनके प् ाष में उलझ कर रह जायेे। कभी-कभी ऐसा होता है वे आते हैं और झमक कर बरस जाते हैं। तब रिमझिम फुहारें मन को इतना भिगोती हैं कि मन पर लगता है लदा भार हट जाता है। मौलिक और अप्रकाषित
Added by indravidyavachaspatitiwari on July 11, 2016 at 9:08am — No Comments
क्या हुआ जो मौनी बाबा को आज क्रोध आ गया ? यह चर्चा चारों तरफ हो रही थी। सुबह से गली और चबूतरों पर बैठे लोग आश्चर्य प्रकट कर रहे थे। कि उनके जैसा संत क्यों क्रोधित हो गया। यह चर्चा करते हुए श्री बेनी बाबू ने कहा कि आखिर कोई तो बात ह ोगी िकवे इतने तैश में दिख रहे थे। जनार्दन जी का कहना था कि अरे भाई हो सकता है कि उन्हें या उनको समझाने वाले को कोई गलतफहमी हो गयी हो। इस रविन्द्र नाथ ने अपने जबड़े कसते हुए कहा कि क्या कहा जाय इस तरह से होना गांव की बदनामी का ही सबब हो सकता है । यदि बाबा गांव से जा…
ContinueAdded by indravidyavachaspatitiwari on June 29, 2016 at 2:00pm — No Comments
बैठ हिमालय की चोटी
करते हैं वे तपस्या हरदम
नीचे जंगल के पेड़ों का
कटना है जारी
जो उन्हे करता
नही
किसी तरह से
चिन्तित
लगा हमें क्यों न हम ही
जाकर करें विनती
हमें चाहिए शिव का वरदान
उनके द्वारा दिया गया
वचन ही हमें ं
प्रदान कर सकता है
अभय
नहीं चाहिए जनविनाश
हमें चाहिए कल्याण
उनका समर्थन
जो बढ़ायेगा
हमारा संबल
देखा हमें
स्वच्छ व स्वस्थ
जिंदगी
मौलिक…
Added by indravidyavachaspatitiwari on June 10, 2016 at 8:26pm — 1 Comment
आज सबके मन का उल्लास देखते ही बनता था। सभी के हाथ में पिचकारी व रंग की बाल्टी थी जिससे वे सभी राहगीर और परिचितों को सराबोर कर रहे थे। रास्ते से गुजरने वाले उधर जाने से डर रहे थे कि जाने कब बच्चों की पार्टी उन्हें देख ले और उन पर रंगों की बौछार कर दे। सभी प्रसन्न चित हो घूम रहे थे। रामू ने देखा कि एक आदमी तेजी से उस तरफ चला आ रहा है। वह बगैर इधर-उधर देखे चला आ रहा था लगता था कि उसे बड़ी जल्दी थी। वह जब नजदीक आया तो रामू ने अपने हथियार संभाले और प्रहार की तैयारी की निशाना लगा ही रहा था कि तब…
ContinueAdded by indravidyavachaspatitiwari on May 13, 2016 at 6:00am — 3 Comments
मौसम !
आजकल हर किसी चीज का मौसम हो रहा है। ष्षादी का मौसम, खरमास का मौसम मेला का मौसम और उपवास तथा स्नान का मौसम लगता है कि हमें मौसम के अलावा अन्य किसी तरह से रहा ही नहीं जाता। अब चुनाव का भी एक मौसम चल रहा है।
यह तुनक कर संजीव ने कहा और घर के भीतर भाग गया। उसके साथ बातचीत मंे ष्षामिल रहे नन्द गोपाल हक्के -बक्के रह गये और कुछ सोचत हुए सोफे पर पसर गये।
थोड़ी देर बाद पुनः संजीव ने वापस आकर बातचीतषुरू की । कहा कि अब अक्सर चुनाव हो रहे हैं और जनमानस में चुनावी लहर व्याप्त…
Added by indravidyavachaspatitiwari on February 21, 2016 at 1:43pm — 1 Comment
सुबह उठने के बाद रमेश की पत्नी ने कहा कि क्या दूध वाला चला जायेगा तभी जाओगे। यह सुनते ही वह तुरन्त उठ कर दूध लाने के लिए तैयार होकर जब वह बाहर आया तो अभी प्रातः काल की सुहानी हवा चल रही थी। वह धीरे-धीरे चलते हुए सामने के दूध वाले के पास पहुंचा जहां कि दूध के बर्तन लिए काफी संख्या में मुहल्ले वाले उपस्थित थे। भैंसे दूही जा रही थी। पास ही चैकी पर दूध की बड़ी सी बाल्टी रखी थी। जिसमें से ग्वाला दूध नाप कर दे र हा था।
रमेश के प हुंचते ही माना काकी ने पूछा कि रमेश देर से क्यो आये यहां तो…
Added by indravidyavachaspatitiwari on January 13, 2016 at 4:33pm — 2 Comments
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