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अब की बार दिल की सुन लो

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Comment by गिरिराज भंडारी on February 19, 2017 at 9:12pm

आदरनीया अमिता जी , अच्छी लगी आपकी कविता , हार्दिक बधाइयाँ । बहुत से समानार्थी शब्दों  का उपयोग कविता को अकारण लम्बाई देना होता है ..  बात जितने कम शब्दों मे  कही जाये उतनी  असर रखती है ... ऐसा मेरा विचार है ।

Comment by amita tiwari on February 18, 2017 at 1:54am

मान्य आरिफ जी,आदाब
बहुत शुक्रिया .उम्मीद है आगे भी आपके सुझाव आते रहेंगे ...

Comment by Mohammed Arif on February 16, 2017 at 5:35pm
आदरणीया अमिता तिवारी जी आदाब, आपकी रचना से पहली बार परिचित हो रहा हूँ । बहुत बेहतरीन कविता रची है आपने ,बधाई स्वीकार करें । हाँ, थोड़ा लंबान कविता को बोझिल बना रहा है ।

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