For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वर्ष नया मंगलमय कहने

चले भी आओ की थोड़ी सी प्रीत निभा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

कहना यह भी था कि
जाते साल के इतने तो उधार बाकी हैं
कुछ मुझ पर कुछ तुम पर उपकार बाकी हैं
शुकराने की सुरमय सरगम सजा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

कहना यह भी था कि
कोई वादा अभी भी अधूरा सा है
आँखों में उम्मीद का चूरा सा है
वादे की हदों की हदें ही मिटा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

कहना यह भी था कि
कुछ चुभने हैं बाकी जो कसकती भी हैं
और कि आँखें संग -संग बरसती भी हैं
चांदनी को चंदा का वास्ता दिला लें
.वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

कहना यह भी था कि
अब के आंगन में आम बौराने को है
और यह भी कि कागा कगराने को है
कोयल को उसके नीड़ से हटा दें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

कहना यह भी था कि
आओ चाह लें अब के हो ही जाए मंगल
बस्ती रह पाए बस्ती जंगल रह पाए जंगल
कबीलों को कन्दरा के कागद थमा दें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

चले भी आओ की थोड़ी सी प्रीत निभा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 18, 2017 at 11:05am
बढ़िया प्रस्तुति है आद०  अमिता जी। हार्दिक बधाई नव वर्ष की आपको भी ढेर सारी शुभकामनाएँ।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 10:16pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया अमिता जी। नव वर्ष की आपको भी ढेर सारी शुभकामनाएँ। सादर।
Comment by amita tiwari on January 2, 2017 at 10:00pm

 मान्य कबीर साहिब महेंद्र कुमार जी ,सुरेन्द्र जी

नया साल मुबारिक रहे .

इसी तरह हौंसला बढ़ाते रहें 

Comment by Samar kabeer on January 2, 2017 at 5:36pm
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी लगी आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 3:04pm
बढ़िया प्रस्तुति है आदरणीया अमिता जी। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on January 2, 2017 at 8:46am
आद0 अमित तिवारी जी उत्तम सृजन,बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
20 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service