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एक बार पीकर देखो ये जीवन का जाम हैं ,

एक बार पीकर देखो ये जीवन का जाम हैं ,
आपके ही लिए है ये आप ही का नाम हैं ,
पहले आपको मिला माँ बाप भाई का साया ,
बचपन में मस्त रहना ये आपका काम हैं ,
दोस्त मनाएँ खुशिया मनाये यौवन में जब पाँव धरे ,
गलती कर गए मस्ती में ये भूल की शाम हैं ,
जो सुधरा वही बन गया अब चेहरा आदर्श का ,
उम्र की ढलती बेला में दीखता तमाम है ,
पावन कोमल निर्मल सुबह के जैसा बचपन हैं ,
दोपहर हैं यार जवानी ढलती बुढ़ापा शाम हैं ,
मस्ती में जो दिन बिताये वो बड़े अनमोल थे ,
जो बचा हैं जीवन अब भी इसका दाम हैं ,
सदगुण अवगुण जो भी पीना हो आपके पसंद का ,
सदगुण में मेरे भाई उज्जवल ऊंचा नाम हैं ,
चार दिन की जिन्दगी ये तीन तूने बिता दिए ,
चौथे पे अब ध्यान दो उसका रखवाला राम हैं ,

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Comment by Rash Bihari Ravi on June 4, 2011 at 1:06pm
dhanyabad sir ji

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 12:06pm
//चार दिन की जिन्दगी ये तीन तूने बिता दिए ,
चौथे पे अब ध्यान दो उसका रखवाला राम हैं ,//
क्या ऊंची आध्यात्मिक बात कह गए गुरु जी - वाह वह वाह ! आनंद आ गया !

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