For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेत पर फूल खिलाने आये (ग़ज़ल)

2122 1122 22

रेत पर फूल खिलाने आये
दश्त में कितने दीवाने आये

मिल गया राह में बचपन का यार
याद फिर गुज़रे ज़माने आये

धूप के पंख निकल आये जब
कुछ शजर जाल बिछाने आये

एक दिन बेखुदी जो ले डूबी
तब मेरे होश ठिकाने आये

वक़्त-बेवक्त भड़क कर आँसू
ग़म की सरकार गिराने आये

नाम लिक्खा था किसी का उनपर
किसी के हिस्से में दाने आये

दिल का दरवाज़ा खुला ही रक्खो
किस घड़ी कौन न जाने आये

आया है हिज्र का फिर से त्यौहार
अश्क़ फिर धूम मचाने आये

देखो-देखो ये सितारे कैसे
रात की माँग सजाने आये

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:29pm
बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:29pm
आदरणीय विजय जी, आपको ग़ज़ल अच्छी लगी, मुझे ये जानकर बहुत अच्छा लगा। बहुत बहुत आभार आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:28pm
आदरणीय ब्रजेश कुमार जी,हार्दिक धन्यवादी हूँ आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:27pm
आपकी प्रतिक्रिया के बिना मेरी हर रचना अधूरी रहती है आदरणीय सतविंद्र कुमार जी। हार्दिक साधुवाद आपको।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:25pm
आपके उद्गारों से हृदय फूला नहीं समा रहा आदरणीय अनुराग वशिष्ठ जी। हार्दिक आभारी हूँ आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:24pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपके इस उत्साहवर्धन से मेरा हौसला बढ़ा है, तथा मेरा श्रम सार्थक हो गया लगता है। दिली शुक्रगुज़ार हूँ आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:23pm
आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 30, 2017 at 8:22pm
आदरणीय नीलेश जी, रचना पर आपके आगमन व उचित मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभारी हूँ आपका। मैं उक्त मिसरे को सुधारने की कोशिश करता हूँ। सादर।।
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 19, 2017 at 1:55pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित जी 

Comment by vijay nikore on May 19, 2017 at 6:59am

//मिल गया राह में बचपन का यार
याद फिर गुज़रे ज़माने आये//

बहुत अच्छी गज़ल लिखी है। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service