For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुखौटों की दुनिया

मुखौटों की दुनिया
मुखौटों की दुनिया मे रहता है आदमी,
मुखौटों पर मुखौटें लगता है आदमी |
बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगता है आदमी |
मुखौटों के खेल मे माहिर है आदमी,
गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी |
शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,
आदमी को छलने को तैयार है आदमी |
मजहब के ठेकेदार भी अब लगाते है मुखौटे,
देते हैं पैगाम, बस मरता है आदमी |
लगाने लगे मुखौटे, जब देश के नेता,
मुखौटों के जाल मे, फँस गया आदमी |
जाति, धर्म का जब लगाया मुखौटा,
आदमी का दुश्मन, बन गया है आदमी |
देखकर नेताओं का मुखौटा अनोखा,
हैरान और परेशान रह गया है आदमी |
कभी भूल जाता है मुखौटा बदलना आदमी,
शै और मात मे फंस जाता है आदमी |
मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया आदमी,
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी |



डा. ए. कीर्तिवर्द्धन अग्रवाल

Views: 254

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 19, 2011 at 8:06pm

मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया आदमी,
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी |

 

वाह वाह , बहुत खूब आदरणीय डा. ए. कीर्तिवर्द्धन अग्रवाल  जी , जबरदस्त रचना है , इस आदमी नामक जीव के पास इतने चेहरे है कि पहचानना मुश्किल है , कब कौन सा मुखौटा धारण कर ले कहना मुश्किल,

इस बेहतरीन रचना हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करे आदरणीय |

 

आपकी और भी रचना तथा अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके विचारों का इन्तजार रहेगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service