For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गरीबी और भ्रष्टाचार

गरीबी और भ्रष्टाचार
एक तरह से देखे तो गरीबी और भ्रष्टाचार शास्वत समस्या है | यह समस्या सृष्टि के उद्भव से ही है और शायद सृष्टि के अंत तक रहेगी | जब हमारा राष्ट्र विश्व गुरु हुआ करता था तब भी ये समस्या किसी न किसी रूप में विद्यमान थी | शास्त्रों में भी इसका वर्णन मिलता है | समय के साथ ये समस्या बढती गई और अब इसने उग्र रूप ले लिया है | आज समाज का कोई भी कोना और वर्ग इससे अछूता नहीं है |
अगर हम चिंतन करे तो पता चलता है कि गरीबी और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक है | गरीबी से त्रस्त ब्यक्ति जब सही मार्ग से अपने गरीबी को दूर नहीं कर पता है तो वह गलत मार्ग का चुनाव करता है और ठीक यहीं भ्रष्टाचार का जन्म होता है | आज भ्रष्टाचार हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है | भ्रष्टाचार के फलस्वरूप गरीबी और अमीरी की खाई निरंतर चौड़ी होती जा रही है | जो समर्थ है वे भ्रष्टाचार की सहायता से जहा निरंतर आगे बढ़ रहे है वही लाचार और असमर्थ निरंतर गरीबी के दल-दल में गिरते जा रहे है | देश काल और परिस्थिति इसके मूक गवाह बन रहे है |
अभी पिछले दिनों हमने एक बहुचर्चित समाचार चैनल पर एक ह्रदयविदारक दृश्य देखा, जिसमे दिखाया गया कि पंजाब के एक सरकारी अनाज के भंडार में किस बेदर्दी से अनाज को बर्बाद किया जा रहा है | सोचिये जिस देश की अधिकांश गरीब जनता बिना खाए रह रही है वही पर कुछ भ्रष्ट लोगो के चलते अनाज बर्बाद हो रहा है |
हम किस दुनिया में जी रहे है | मेरे समझ से अब इंसानियत की बात करना ही बेमानी है | हर सक्षम व्यक्ति अपना- अपना झोला भरने के फिराक में है |चाहे वो किसी भी पद पे क्यों न आसीन हो उसे अपने अलावां कुछ सूझता ही नहीं है |
अंत में इतना ही कहूँगा अपने देश का भविष्य अंधकार ही अंधकार नज़र आ रहा है

Views: 321

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on July 12, 2010 at 4:26pm
अगर हम चिंतन करे तो पता चलता है कि गरीबी और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक है | गरीबी से त्रस्त ब्यक्ति जब सही मार्ग से अपने गरीबी को दूर नहीं कर पता है तो वह गलत मार्ग का चुनाव करता है और ठीक यहीं भ्रष्टाचार का जन्म होता है | आज भ्रष्टाचार हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है | भ्रष्टाचार के फलस्वरूप गरीबी और अमीरी की खाई निरंतर चौड़ी होती जा रही है | जो समर्थ है वे भ्रष्टाचार की सहायता से जहा निरंतर आगे बढ़ रहे है वही लाचार और असमर्थ निरंतर गरीबी के दल-दल में गिरते जा रहे है | देश काल और परिस्थिति इसके मूक गवाह बन रहे है | bahut badhia

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2010 at 10:17pm
बिजय भईया बहुत ही सुंदर लेख आपने लिखा है, पर मुझे लगता है कि गरीबी और भ्रष्टाचार दोनों दो अलग अलग कारक है जिसमे कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, अमीर होने से अगर व्यक्ति भ्रष्टाचार को त्याग देता तो भ्रष्टाचार के केस मे आज कोई अमीर नहीं फसता किन्तु यहाँ तो उल्टा दिखता है, भ्रष्टाचार कि शुरुवात ही अमीरों के कर कमलो से होता है,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 10, 2010 at 1:32am
विजय पाठक जी एक विचारोत्तेजक लेख लिखा है आपने...........परन्तु आपकी एक बात से सहमत नहीं हूँ...कि भ्रष्टाचार का जन्म गरीबी की कोख से होता है.........स्थिति तो बिल्कुल इसके उलट है...जिसके पास जितना धन है वह उतना ही ज्यादा भ्रष्टाचारी है.......जितनी बड़ी कुर्सी है उतना ही बड़ा भ्रष्टाचार भी.......हमें निराशावादी ना बनकर एकता के साथ इस सामाजिक बुराई को जड़ से उखाड़ फेंकने का प्रयत्न करना चाहिए................

****लेख में वर्तनी एवं व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियों को सुधारकर नीचे चस्पा कर रहा हूँ...आप यहाँ से कॉपी करके अपना ब्लॉग एडिट कर लीजिये.(और समय निकाल कर इसे अवश्य पढ़िए)
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:6761

गरीबी और भ्रष्टाचार
एक तरह से देखे तो गरीबी और भ्रष्टाचार शास्वत समस्या है | यह समस्या सृष्टि के उद्भव से ही है और शायद सृष्टि के अंत तक रहेगी | जब हमारा राष्ट्र विश्व गुरु हुआ करता था तब भी ये समस्या किसी न किसी रूप में विद्यमान थी | शास्त्रों में भी इसका वर्णन मिलता है | समय के साथ ये समस्या बढती गई और अब इसने उग्र रूप ले लिया है | आज समाज का कोई भी कोना और वर्ग इससे अछूता नहीं है |
अगर हम चिंतन करे तो पता चलता है कि गरीबी और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक है | गरीबी से त्रस्त ब्यक्ति जब सही मार्ग से अपने गरीबी को दूर नहीं कर पता है तो वह गलत मार्ग का चुनाव करता है और ठीक यहीं भ्रष्टाचार का जन्म होता है | आज भ्रष्टाचार हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है | भ्रष्टाचार के फलस्वरूप गरीबी और अमीरी की खाई निरंतर चौड़ी होती जा रही है | जो समर्थ है वे भ्रष्टाचार की सहायता से जहा निरंतर आगे बढ़ रहे है वही लाचार और असमर्थ निरंतर गरीबी के दल-दल में गिरते जा रहे है | देश काल और परिस्थिति इसके मूक गवाह बन रहे है |
अभी पिछले दिनों हमने एक बहुचर्चित समाचार चैनल पर एक ह्रदयविदारक दृश्य देखा, जिसमे दिखाया गया कि पंजाब के एक सरकारी अनाज के भंडार में किस बेदर्दी से अनाज को बर्बाद किया जा रहा है | सोचिये जिस देश की अधिकांश गरीब जनता बिना खाए रह रही है वही पर कुछ भ्रष्ट लोगो के चलते अनाज बर्बाद हो रहा है |
हम किस दुनिया में जी रहे है | मेरे समझ से अब इंसानियत की बात करना ही बेमानी है | हर सक्षम व्यक्ति अपना- अपना झोला भरने के फिराक में है |चाहे वो किसी भी पद पे क्यों न आसीन हो उसे अपने अलावां कुछ सूझता ही नहीं है |
अंत में इतना ही कहूँगा अपने देश का भविष्य अंधकार ही अंधकार नज़र आ रहा है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service