For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत नवगीत - " दीपावली "

दीप जलाओ , दिल से जलाओ -

.
गणेश बिठाते माता बिठाते ,
दशहरे पर रावण भी जलाते | 
दिल में बुराई जो है जलाओ ,
दीपोत्सव तब ख़ास मनाओ || 
कितने ही तुम दीप जलाये  ,
मैं कहता तुम दिल से जलाओ | 
दिल की गंदगी बाहर आये ,
सच्चे दिल से ख़ुशियां मनाओ || 
कितनी भरी है वासना दिल में ,
दीपक संग दिल को भी जलाओ | 
दीपोत्सव के शुभ अवसर पर ,
पवित्र मन से दीप जलाओ || 
दीप जले तो मिटे अँधेरा ,
बुरी नीयत को भी जलाओ | 
दिल अच्छा और नीयत अच्छी ,
अच्छा मानव बनके बताओ || 
अभी तो बचपन ही है तुम्हारा ,
फंस गये क्यों वासना के चक्कर ?
अच्छे विचार और जनहित सेवा ,
करके अपनी कीमत बनाओ || 
दिल देना सद्भावना रखना ,
टूटे दिल के  दीप जलाना | 
विश्वास और उम्मीद से दुनिया ,
चलती अपना जीवन सजाओ || 
.
(अप्रकाशित व मौलिक)

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2018 at 10:57pm

आपका इस पटल पर आपका स्वागत है, आदरणीय श्रीपूजन जोधपुरी जी। 

आपकी किसी प्रस्तुति से पहली बार ग़ुज़रने का अवसर मिल रहा है। आपने जो कुछ प्रस्तुत किया है, उसे किसी विधा विशेष का नाम देने के पूर्व उस विधा की मूलभूत जानकारी भी अवश्य प्राप्त करें। 

आपसे सतत एवं दीर्घकालिक प्रयास की अपेक्षा है।

शुभातिशुभ 

सादर 

Comment by sripoonam jodhpuri on November 13, 2018 at 9:53pm
श्रीमानजी , इस नवगीत में मात्राओं से ज्यादा इसका भावार्थ ज्यादा मायने रखता है | वैसे इसकी गायकी संतुलित है | धन्यवाद
Comment by Samar kabeer on November 11, 2018 at 6:57pm

जनाब श्रीपूनम जोधपुरी जी आदाब,ओबीओ पर पहली बार आपकी रचना पढ़ने का अवसर मिला है ।

गीत का प्रयास अच्छा है,लेकिन शिल्प और मात्रा अभी कुछ और समय चाहती हैं,कृपया बताने का कष्ट करें कि इसकी मात्राएँ क्या हैं?

इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service