हजज़ मुरब्बा मक़बूज
अरकान :- मुफाइलुन मुफाइलुन (1212-1212)
मुझे उसी से प्यार हो ।।
जो तीर दिल के पार हो ।।
पहाड़ जैसी' जिंदगी ।
कोई तो दाबे'दार हो।।
सवाल बस मेरा यही ।
अदब ओ ऐतबार हो।।(शिष्टाचार,विश्वास)
नफ़स की धुन नहीं थमें।(आत्मा,soul)
कोई भी कितना यार हो।।
लुग़त* की छेड़छाड़ में। (शब्दकोश)
हुसूल* दाग़दार हो।।(परिणाम,फल)
उसूल दिल का ये कहे ।(नियम, कायदा)
मिलावटी न प्यार हो।।
मेरी रिसाल-ए- इश्क में ।
वो रौशनाइगार हो ।।
आमोद बिंदौरी/ मौलिक अप्रकाशित
Comment
जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,अच्छा प्रयास है,बधाई ।
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