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जमाने भर की बातें सोचता हूँ
मगर मैं खुद में अब कितना बचा हूँ
सुहानी भोर किस्मत में नहीं है
भला मैं रात भर क्यों जागता हूँ
मुहब्बत एक हरजाई का घर है
मैं उस घर से निकाला जा चुका हूँ
तरफदारी से तेरी क्या है हासिल
मैं अपनों में अकेला पड़ गया हूँ
गुजारी जिंदगी सारी जहाँ पर
मैं अब उस शहर में बिल्कुल नया हूँ
तुझे आवाज देने का सबब है
मैं अब तन्हाई से डरने लगा हूँ
तरक्की कर रही है सारी दुनिया
मैं अपनी हार पर पछता रहा हूँ
किसी की मद भरी आंखों के फन से
कदम रखता हूं गिरता कांपता हूँ
शिकारी आ गए हैं देख सारे
गजाला की सदा में चीखता हूँ
मुझे कितनी समझ है जिंदगी की
मैं अपने शेर पढ़कर सोचता हूँ
जमाने को शिकायत हो गई है
मैं बच्चों को फरिश्ता कह रहा हूँ
तुम्हारे खत के टुकड़े हाथ में हैं
मैं बीते कल को फिर से जोड़ता हूँ
नहीं है इस ग़ज़ल का छोर कोई
मुसलसल शेर कितने कह गया हूं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
इस जानकारी के लिए बेहद शुक्रिया सर
मैं इस शेर पर पुनः विचार करता हूँ
सादर
"ग़ज़ाला" का अर्थ है हिरन का मादा बच्चा ।
और "ग़ज़ाल" का अर्थ है हिरन का बच्चा ।
आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार
सर मैंने इस शब्द को हिरण के बच्चे के अर्थ में प्रयोग किया है बाकी आप मार्गदर्शन देने की कृपा करें
हार्दिक आभार
सादर
जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'शिकारी आ गए हैं देख सारे
गजाला की सदा में चीखता हूँ'
इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है, 'गजाला' का अर्थ क्या है?
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