वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है,
कहीं है चैन-ओ-सुकून,तो कहीं मुसीबत है,
वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है ।
क्या था ख्याल तेरा,
बनाया किसी को गूंगा,किसी को बहरा,
बनाया तूने किसी को सबल-सुअंग,
क्यों बनाया किसी को अपाहिज-अपंग?
बता तो क्या तेरी चाहत है,
वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है ।
तू किसी से ज़ुबान छीने,
किसी से हाथ,पैर,कान छीने ।
क्यों तूने ऐसी सजा दी,
किसी के नैनों की बत्ती बुझा दी ।
या नहीं मिली तुझे,यह बनाने की फुर्सत है,
वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है ।
क्यों किसी के हाथ लगी निराशा,
बोलनी पड़ी उसे हाथों की भाषा ।
किसी ने क्या ऐसा क़सूर किया,
बैसाखी के सहारे चलने को मजबूर किया ।
कुछ भूल हुई तुझसे,या ऐसी ही तेरी फितरत है,
वह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है
जो छीने सारी दुनिया का चैन हैं,
न जाने ऐसे कितने लादेन हैं ।
जिन्होंने कितनों के किए छलनी सीने,
क्यों नहीं उनके हाथ,पैर,आँख,कान छीने ।
ना हो अब कोई और ऐसा,
हम करते तेरी इबादत हैं ।
वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है ।।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर जी, आपके प्रेरणादायक वचनों के लिए हृदय तल से आभारी हूँ। प्रस्तुति आपको पसंद आयी तो रचना सफ़ल हुई ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online