For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे भी हक है
कुछ भी करूँ.
दूँ सबको दुख-दर्द
या करुँ किसी का कत्ल.
सबको मारूँ,
लाशों की ढेर पर नाचूँ,
देखकर मेरा मृत्युताण्डव,
काँप जाएँ,भाग जाएँ,
मौत का खेल खेलनेवाले दानव.
मुझे भी हक है
दूँ सबको गाली,
हो जाएँ
अपशब्द की पुस्तकें खाली.
ना देखूँ मैं,
माँ,बहन,भाई,
लगूँ मैं कसाई.
देखकर मेरा ऐसा रंग,
मर जाए मानवता,भाईचारा
और प्रेम का तन.
जब मैं ऐसा हो जाऊँगा,
थर्रा जाएँगे,
अपशब्द बोलने वाले,
इज्जत से खेलने वाले.
मूक हो जाएँगे,
बिन सोचे समझे
जुबान डुलाने वाले.
मुझे भी हक है
कुछ भी पिऊँ,
व्हिस्की पिऊँ,
इतना पिऊँ कि
मुझे देखकर,बिन पिए,
हो जाएँ मदहोश,
शराब पीने वाले.
बंद हो जाएँ
फैक्ट्रियाँ शराब की,
रोएँ,शराब बनाने वाले.
मुझे भी हक है
कुछ भी गाऊँ,
माँ,बहन,के
सामने गाऊँ,
सेक्सी,सेक्सी,सेक्सी
ऐसा गाऊँ,
इतना गाऊँ कि रुँध जाए,
ऐसा गाने वालों का कंठ,
ना कोई कहलाना चाहे लंठ.
मुझे भी हक है
डांस करूँ,मौजमस्ती करूँ,
सुरा को मुँह में लगा के,
सुंदरी को बाहों में भरूँ.
दुनिया के सामने करूँ ऐसी
अश्लील हरकत,ताकि
ये देखकर,
उनकी रुहें भी काँप जाएँ
जो ऐसा करते हैं,
कुछ भी कहते हैं...
किसी को भी नहीं है हक.
कि वह जो चाहे वही करे.

-प्रभाकर पाण्डेय

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Prabhakar Pandey on July 13, 2010 at 9:29am
सादर धन्यवाद, भाई गणेशजी।।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 12, 2010 at 11:57pm
प्रभाकर भईया ये आपका हक़ की लिस्ट देखकर तो मैं डर गया हू कही आपको ये हक मिल गया तो क्या होगा , भाई हम लोग तो विरोध शुरू कर देंगे ,
बहुत ही सुंदर , सजीव, एवं व्यंगात्मक अभिव्यक्ति है प्रभाकर भईया , बधाई इस खुबसूरत रचना पर,
Comment by Prabhakar Pandey on July 12, 2010 at 2:27pm
धन्यवाद भाई रविजी ।। ताहे दिल से धन्यवाद।।
Comment by Rash Bihari Ravi on July 12, 2010 at 2:22pm
bahut badhia किसी को भी नहीं है हक.
कि वह जो चाहे वही करे.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service