For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिलेरी का एक नाम ‘फूलबाई’, अब तक 7 हजार पोस्टमार्टम !

अक्सर कहा जाता है कि नाम बड़ा होता है या काम और अंततः कर्म की प्रधानता को तवज्जो दी जाती है। ऐसी ही एक महिला है, जिसने नाम के विपरित बड़ा काम किया है, वो भी हिम्मत व दिलेरी का। जिस काम को कोई मर्दाना भी करने के पहले हाथ-पांव फुला ले, वहीं यह नारी शक्ति की मिसाल महिला करती हैं, लाशों का पोस्टमार्टम। ऐसा भी माना जा रहा है कि संभवतः यह छत्तीसगढ़ की पहली महिला होगी, जिसने ऐसे हिम्मत के काम को चुना और एक नई मिसाल भी कायम की है। जी हां, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा में ‘फूलबाई’ नाम की एक महिला है, जो पिछले 25 बरसों से पोस्टमार्टम करती आ रही हैं। हर हफ्ते 3-4 पोस्टमार्टम करती हैं तथा वह सालाना 2 सौ पीएम कर लेती हैं। अनुमान के मुताबिक फूलबाई ने अब तक करीब 7 हजार पोस्टमार्टम कर लिया है। ब्लाक मुख्यालय मालखरौदा में रहने वाली फूलबाई का नाम सुनने के बाद हर किसी के मन में सहसा ही एक ऐसी महिला की तस्वीर बनेगी, जो फूलों की तरह नाजुक हो, मगर इन बातों को फूलबाई ने धता बताते हुए कोई पुरूष भी जो काम करने से कतराता है, उसे अपनी कांधों पर लेकर निश्चित ही नारी शक्ति को जाग्रत किया है। वैसे भी जब कोई क्षत-विक्षत लाश को देखता है तो उसकी रूह कांप जाती है। किसी भी की रोंगटे खड़े हो जाते हैं, मगर फूलबाई ने हिम्मत के साथ दिलेरी भी दिखाई और पोस्टमार्टम करने लगीं। दूसरी ओर एक सामान्य व्यक्ति भी लाश देखते ही नाक-भौंह सिकोड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में फूलबाई का सख्त निर्णय भी तारीफ के काबिल है। सन् 1985 में काम की तलाश करते हुए फूलबाई, अपने एक बेटे व छह बेटियों के साथ मालखरौदा आई, क्योंकि इतने बड़े परिवार को पालने की जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। फूलबाई का पति चरणलाल मजदूर है, जिससे इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि इतने बड़े परिवार की आवश्वकताओं की पूर्ति की जा सके। लिहाजा फूलबाई को भी चारदीवारी से बाहर निकलकर काम तलाशनी पड़ी। आर्थिक परेशानियों से जुझने वाली फूलबाई को कुछ दिनों में ही मालखरौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वीपर की नौकरी मिल गई और इस तरह उसकी परिवार की गाड़ी जैसे-तैसे दौड़ने लगी। कुछ दिनों बाद फूलबाई, अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वाले स्वीपर ‘महादेव’ का सहयोग करने लगी और कुछ महीनों में उसने भी पीएम करने महारथ हासिल की ली। इस तरह फूलबाई की हिम्मत को देखकर अस्पताल के डाक्टर भी हैरत में पड़ गए और डॉक्टरों ने उससे पोस्टमार्टम का काम लेना शुरू कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि फूलबाई ने हत्या की घटना वाले शव को अकेली ही पहली बार पोस्टमार्टम किया। फूलबाई कहती हैं कि इस दौरान थोड़ी घबराहट हुई, क्योंकि इससे पहले वे पीएम साथ में किया करती थी, मगर इस बार उसे अकेले इस काम को अंजाम तक पहुंचाना पड़ा। वह बताती हैं कि उसकी चार बेटियों का विवाह हो चुका है और परिवार में पति समेत दो बेटियों व एक बेटे के साथ गुजारा करती हैं। देखा जाए तो इतने बड़े परिवार को किसी भी सूरत में एक मजदूर होकर चरणलाल (फूलबाई के पति ) किसी भी सूरत में नहीं चला पाता, मगर नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति ‘फूलबाई’ के अथक प्रयास व परिश्रम से परिवार की आर्थिक हालत पहले से बेहतर हो गई और उसने अपने पति का साथ हर राह पर बखूबी दिया। वह पोस्टमार्टम जहां बेधड़क करती हैं, वहीं शव के चीरफाड़ में उसके हाथ भी नहीं कांपते। इस बात को कई तरह से अहम मानी जा सकती है। फूलबाई बताती हैं कि मालखरौदा व डभरा क्षेत्र के शवों का उसे पोस्टमार्टम करना पड़ता है, इसमें डाक्टरों का भी पूरा सहयोग मिलता है और जैसे ही कोई घटना के बाद अस्पताल में शव आता है, उसके बाद उसकी खोज-खबर शुरू हो जाती है। डॉक्टर भी उसकी ऐसे काम की भुरी-भुरी प्रशंसा करते हैं, क्योंकि फूलबाई को जैसे ही पोस्टमार्टम करने की सूचना मिलती है, वह बिना किसी लाग-लपेट के सहसा चली आती हैं। मालखरौदा के बीएमओ डा. आरपी कुर्रे कहते हैं कि फूलबाई को पीएम का अच्छा अनुभव हो गया है और वह किसी सुलझे की तरह पोस्टमार्टम करती हैं। इधर समाजशास्त्री भी फूलबाई द्वारा पोस्टमार्टम जैसे कार्य किए जाने को नारी सशक्तीकरण से जोड़कर देखते हैं, उनका कहना है कि निश्चित हीऐसा कोई काम नहीं है, जो आज महिलाएं नहीं कर सकतीं। पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की समाज में यह भागीदारी काफी मायने रखती है। अंत में, एक महत्वपूर्ण बात, जिले ही नहीं वरन्, प्रदेश में ‘स्वीपर’ की कमी है और इस समस्या से तब दिक्कतें होती हैं, जब शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। कई बार देखने में आ चुका है कि महज स्वीपर की कमी या फिर उसके नहीं आने से शव का दूसरे दिन पोस्टमार्टम हो पाता है। इस मामले को भी छत्तीसगढ़ सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए और नारी शक्ति के लिए मिसाल बनी ‘फूलबाई’ को सम्मानित भी किया जाना चाहिए। इससे उन महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा, जो खुद को दबे-कुचले समझ कर आगे बढ़ने की सोच को मन में रख लेती हैं और बंद कमरे में जिंदगी जी कर बेनाम रूखसत हो जाती हैं।

राजकुमार साहू
लेखक जांजगीर, छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार हैं। पिछले दस बरसों से पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और स्वतंत्र लेखक, व्यंग्यकार तथा ब्लॉगर हैं।
जांजगीर, छत्तीसगढ़ मोबा - 098934-94714

Views: 326

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service