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आँसू  ----

आँसू नहीं छंद होते हैं

आँसू नहीं नियम होते हैं
भावों की अनुभूति है आँसू
कभी ख़ुशी कभी गम होते हैं..
मैंने देखे सुख के आँसू
हंसते गाते झिलमिल आँसू
दुःख मे भी देखे हैं आँसू
रोते-रोते दर्दीले आँसू ..
बेटी की विदा बेला पर
छलक पड़े आँखों के आँसू
गौरव के पल आने पर भी
बह निकले आँखों से आँसू ..
कभी किसी की मृत्यु पर भी
खूब बहाए मैंने आंसू
शिशु जन्म के अवसर पर भी
रुक न सके आँखों मे आँसू ..
कभी दरिया बनाते हैं आँसू
मोती सम पलकों मे आँसू
जार-जार रोते हैं आँसू
बार-बार आते हैं आँसू .
एक बार दिल के रोने पार
सुख गए आँखों के आँसू
फिर मार लगाने पर ही
छलक सके आँखों से आँसू .
नयन सुख की आँखों मे आँसू
सूरदास के बहते आंसू
ऊँच -नीच का भेद न करते
नर-नारी के आते आँसू ..
प्रयेसी की चाहत है आँसू
माँ नयनो मे ममता आँसू
बहनों का दुलार भी आँसू
जीवन का हर रंग है आँसू .

डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2012 at 3:19pm

आंसू तेरे रूप अनेक, आंसू की एक जैसी बुँदे पर कारण अनेक, वाह रे कुदरत, बहुत सारी अनबुझ पहेलियाँ आज भी है जिसे समझने में कई सौ बरस लग सकते है, कुदरत सबसे बड़ा अभियंता है |

बधाई इस खुबसूरत रचना पर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2012 at 10:07am

बहुत बही यह रचना .. आँसू बन कर.  आँसू के इस प्रतीक पर आपने बहुत कुछ कहा है, कीर्तिवर्द्धनजी.

सधन्यवाद.

Comment by Abhinav Arun on January 13, 2012 at 8:44pm

आपके इस "आंसू" गान ने

इस शब्द के विविध आयामों से उसके भावों से परिचित कराया आदरणीय किर्तिवर्धन जी | हार्दिक बधाई इस सशक्त रचना हेतु |

कृपया ध्यान दे...

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