For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी आवाज़ .....
आवाज़,जो मुल्क की बेहतरी के लिए है,
उसे कोई दबा नहीं सकता|
दीवार ,जो मेरी आवाज़ दबा सके,
कोई बना नहीं सकता|
जब जब चाहा जालिमों ऩे,आवाज़ दबी हो,
किस्सा, कोई बता नहीं सकता|
क़त्ल कर सकते हो मेरे जिस्म को, कातिल ,
विचारों को कोई दबा नहीं सकता|
खिलेगा कोई फूल उपवन मे,देखना उसको,
खुशबू को कोई चुरा नहीं सकता|
कहाँ से पाला भ्रम अमर होने का,सियासतदानों ,
मौत से कोई पार पा नहीं सकता|
दबाओ के कब तलक मेरी आवाज़ ,दरिंदो ,
हवाओं को कोई बाँध नहीं सकता|
सजा कर एक परिंदा पिंजरे मे,जाने क्या समझे ,
परिंदों से गगन खाली रह नहीं सकता|
उड़ेगा बाज़ जब आसमां के सीने पर ,
मौत किसकी लिखी,बता नहीं सकता|
लिखा तकदीर मे तेरी क्या,क्या जाने ,
जो लिखा बदलवा नहीं सकता|
ध्यान रख,कोई और है दुनिया चलाने वाला,
बिना मर्ज़ी के, हाथ हिला नहीं सकता|
समझते थे कुछ लोग खुदा,खुद को मगर,
कहाँ खो गए ,कोई बता नहीं सकता|
ना कर गुरुर अपनी ताकत पर, नादान,
साँसों की गिनती,गिना नहीं सकता |

  • डॉ अ कीर्तिवर्धन

          ९९११३२३७३२

Views: 374

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by dr a kirtivardhan on January 14, 2012 at 10:28pm

main aaap sab mitron ka atyant aabhari hun jinhone apne viharon se mera hausala badhaya.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2012 at 9:38pm

दीवार ,जो मेरी आवाज़ दबा सके,
कोई बना नहीं सकता|

वाह वाह, डॉ साहब बहुत खूब, काफी ओजस्वी रचना है यह, सच ही तो है यदि सच्ची लगन हो कुछ करने का तो उसे कौन रोक सकता है, बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई स्वीकारे श्रीमान |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2012 at 10:00am

विचारों को शब्द में ढालना, उन्हें विधाओं (छंदबद्ध या छंदमुक्त) की कसौटी पर कस संप्रेषणीय बनाना साहित्य-कर्म है. यह कर्म मात्र एक व्यक्ति (पाठक) ही नहीं पूरे समुदाय की सोच को प्रभावित करता है. तभी तो यह सतत अभ्यास और निष्ठ-संलग्नता की मांग करता है. 

आद. कीर्तिवर्द्धनजी, हम पाठक-गण आपकी रचनाओं से परिचित हो रहे हैं.  आपकी रचनाओं और प्रविष्टियों का होना ओबीओ पर एक उत्साहजनक समय बना रहा है.

इस मंच पर पहले भी कई रचनाएँ प्रस्तुत हुई हैं, जिनमें कई-कई स्तरीय और कालजयी हैं. वो रचनाएँ आपकी सार्थक टिप्पणीयों और मार्गदर्शी प्रतिक्रियाओं की सादर आकांक्षी हैं.  हम आप उन स्तरीय रचनाओं से बहुत कुछ बिना कहे आश्वस्त हो कर सीखते भी जाते हैं. 

आपके ज़ज़्बे को सलाम. सहयोग बना रहे.  

सधन्यवाद.

 

Comment by Abhinav Arun on January 13, 2012 at 9:03pm

आपके जज्बे को सलाम है आदरणीय श्री कीर्तिवर्धन जी !!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:25am

देश और कौम की भलाई की खातिर आपका स्वर यूं ही बुलंद रहे आदरणीय डॉ कीर्तिवर्धन जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service