For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कायरता या बुद्ध Copyright ©.




ज्ञात हैं हमें कि हर भाव
इतना शक्तिशाली होता है
कि वो आपका जीवन
बदल दे
असीम शक्ति का
प्रमाण है भाव
व्यक्त न भी हो सके तो
क्या
है वो ही प्रणाम
जो पशुओं और मनुष्य में
करता है चुनाव
एक ऐसा ही भाव है
कायरता।


कायरता, बुजदिली
या जो भी कह लो
अद्भुत शक्ति है इसमें
जो काया पलट दे
और साधारण से
असाधारण , अनुपम में बदल दे
भय हो जब हार का
कुछ करने की न जब शक्ति हो
न हो इश्वर पे विश्वास
करने की क्षमता
न कर्म की भक्ति हो
हाथो से रेत के प्रकार
निकलते जीवन
को थाम लेने का न हो जब शौर्य
और न ही
तूफ़ान के थम जाने की प्रतीक्षा का धैर्य
अपनी क्षमता पे जब न हो विश्वास
और जब हार के डर से थम जाये प्रयास
न हो जब वास्तविकता के थप्पड़
का सामना करने की हिम्मत
और बिखरती ज़िन्दगी को समेटने की शिद्दत
जब ह्रदय में हो घबराहट का भूकंप
तब जागती है एक ऊर्जा
क्रोध और कुंठा से लिपटी ज्वाला
स्वयं से दृष्टि न मिलने से
जब मन हो दुखी
तब खिलता है कुछ कर गुजरने का
ज्वालामुखी


महापुरुषों का जीवन देखो
सब कायर थे
अपनी कायरता की अनुभूति हुई
फिर उसपे विजय पायी
और इस जीत की शक्ति से उन्होंने
इस विश्व में एक अद्वितीय
बिजली दौडाई
दिव्य ज्ञान की ज्योत जलाई
और उसी मशाल से
सारी दुनिया चमकाई
अपनी व्यग्तिगत कायरता के दम पे
देखो कैसे
स्वर्ण अक्षरों से
इतिहास में अपनी जगह बनायी


यदि तू कायर है
और तू यह जानता है
तो भय न कर इस बात का
विजय समारोह मनायेगा
समय कटे जब इस रात का
ग्लानी न हो कभी तुझे
कि तू कायर है
और ना ही लज्जा हो इस बात की
कि तुझे यह एहसास है
कि तू कायर है
बस हिम्मत कर ले एक दिन
विजय पाले उस कायरता पे
फिर देख यह भाव तुझे
कहाँ से कहाँ लेके जाता है
और कैसे तेरा विजय बिगुल बजाता है
भाग्य कैसे चमकाता है
और कैसे तुझे इतिहास
कायर नहीं
बुद्ध बुलाता है
बुद्ध बुलाता है
बुद्ध बुलाता है!

Views: 320

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अनुपम ध्यानी on August 8, 2010 at 2:15am
dhanyavaad Bagi Jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2010 at 11:18am
कायरता, बुजदिली
या जो भी कह लो
अद्भुत शक्ति है इसमें
जो काया पलट दे
और साधारण से
असाधारण , अनुपम में बदल दे,

सुंदर अभिव्यक्ति, और खुबसूरत शब्दों के समावेश से रचना को चार चाँद लग गया हैं , साधुवाद अनुपम ध्यानी जी ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service