For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनुपम ध्यानी
  • Male
  • Northridge, CA
  • United States
Share on Facebook MySpace

अनुपम ध्यानी's Friends

  • Alka Gupta
  • sunita dohare
  • Priyanka singh
  • राज़ नवादवी
  • Hilal Badayuni
  • Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
  • Manoj Kumar Jha
  • sanjiv verma 'salil'
  • Rana Pratap Singh
  • योगराज प्रभाकर
  • asha pandey ojha
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"

अनुपम ध्यानी's Groups

 

अनुपम ध्यानी's Page

Profile Information

City State
Los Angeles
Native Place
Mussoorie
Profession
Engineer
About me
I Drink Life to the lees

अनुपम ध्यानी's Videos

  • Add Videos
  • View All

अनुपम ध्यानी's Blog

बनूँगा, बनाऊंगा ! Copyright (c)

स्मृति बनूँ या बनूँ स्मारक?
सुधार बनूँ या बनूँ सुधाकर?
पिनाकी बनूँ या ब्रह्मास्त्र?
गाण्डीव  बनूँ या पशुपतास्त्र?
मूल बनूँ या मौलिक?
आलोक या अलौकिक?
जीवन या संजीवनी?
दमन या दामिनी?
छंद बनूँ या स्वच्छंद
मुक्तक या निबंध
सागर बनूँगा, छोर भी
सावन बनूँगा, मोर भी
उजाला भी, अंधेरा घनघोर भी
समस्या का तोड़ भी
आशा की डोर भी
उत्तर बनूँगा,…
Continue

Posted on October 31, 2013 at 1:00am — 6 Comments

चलो घर की ओर! Copyright©

घोंसलों से पलायन करते परिंदे

आकाश की ऊँचाई नापने निकलते हैं

पंख फैलाने की सीख घर से लेके

मदमस्त गगन में उड़ते हैं

जहाँ दाना देखा उतर जाते

फिर नये झुंड के साथ , नयी दिशा में मुड़ जाते



नीले गगन की सैर, इंद्रधनुष की अंगड़ाई में लीन

कभी आसमान में स्वतंतरा, कभी हवा के बहाव के आधीन

घोंसले की गर्मी और मा के दुलार को भूल

नये चेहरों को आँखटे, उनके संग हो…

Continue

Posted on March 19, 2013 at 12:10am — 1 Comment

जज़्बा !!! Copyright ©

जीवन के इस मोड़ पे

शब्दों से घटाने

और कविताओं के जोड़ में

अनुभवों के सागर में

और इस धरती पे जीवन के

निचोड़ से

क्या सीखा मैंने?

रोता रहा हूँ कई बार

और कोसा भी सबको मैंने

किस्मत के आगे भीख मागी

और पुकारा रब को भी मैंने…

Continue

Posted on August 12, 2010 at 12:14pm — 3 Comments

प्रशांत ! Copyright ©

कैसे विनम्र सा बैठा



अथाह सागर फैला हुआ



मौत सा सन्नाटा सुनाई देता



इसके अन्दर सिमटा हुआ



बंद करके आँखें मैं



लेट गया सफ़ेद रेत पे



सुनने को आतुर था मन



सुर जो बनता



लहरों के साहिल पे टकराने से



जब पूरा ध्यान उन लहरों पर था



और मन के सारे द्वार मैंने खोल दिए



पहचानने को वो शक्ति मैं था बैठा



ऐसा लगता मानो कह रहा सागर



धैर्य हूँ मैं



शंकर हूँ और शक्ति हूँ… Continue

Posted on August 7, 2010 at 1:24am

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:06am on December 31, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 4:15pm on December 31, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 5:23am on August 9, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 11:03am on August 5, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 8:34am on August 5, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 8:33am on August 5, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद  श्रोतिया जी....लगभग पाँच वर्ष बाद ओ बी ओ     पर अपनी हाज़िरी दी…"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, गिरह का शे'र    ग़ज़ल से अलग रहेगा बस यही अड़चन रोक रहीहै     …"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
""पहुंचें" अन्य को आमंत्रित करता हुआ है इस वाक्य में, वह रखें तब भी समस्या यह है कि धीरे…"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे मिसरे बाँधे हैं अजय जी। परन्तु थोड़ा सा और तराशा जाए तो सभी अशआर और ज़ियादा चमकने लगेंगे। आपकी…"
5 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सजावट से रौनक बढ़ेगी भले हीबनेगा मकाँ  से  ये  घर धीरे धीरे// अच्छा शेर है! अच्छे…"
6 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छी ग़ज़ल कही ऋचा जी। रदीफ़ की कठिनता ग़ज़लकार से और अधिक समय और मेहनत चाहती है। सभी मिसरो को और…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service