For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घोंसलों से पलायन करते परिंदे
आकाश की ऊँचाई नापने निकलते हैं
पंख फैलाने की सीख घर से लेके
मदमस्त गगन में उड़ते हैं
जहाँ दाना देखा उतर जाते
फिर नये झुंड के साथ , नयी दिशा में मुड़ जाते

नीले गगन की सैर, इंद्रधनुष की अंगड़ाई में लीन
कभी आसमान में स्वतंतरा, कभी हवा के बहाव के आधीन
घोंसले की गर्मी और मा के दुलार को भूल
नये चेहरों को आँखटे, उनके संग हो लेते परिंदे
किसी तालाब में डुबकी लगाते, पंखों को भिगोते
नर्म रेत मे सर धँसा के, ज़मीन से बाते करते

मगर क्या उन्हे उस घोंसले की याद आती है?
क्या माँ की ममता , याद आती है?
पिता की मेहनत, भाई बहनो से एक निवाले को लड़ने
की याद आती है?
शायद हन, शायद नही
मैं भी ऐसा ही परिंदा हूँ
उड़ गया था, नभ छूने
अनेक रंगों को देखने
अनेक सुगंधों को महसूस करने
अब घर जाना है
देख लिया जाग सारा,
घर तो बस अपना ही है प्यारा

मेरे पंख समय के बहाव में उड़ चले हैं
स्वाधीन सोच और उड़ान की ओर मुड़ चले हैं
उस घर की मगर अब याद आती है
ना जाने हवा दिशा कब बदलेगी
कब मेरे घर की ओर बहेगी
मैं क्या उस घर को पहचान पाऊँगा?
क्या मैं वहाँ रहना चाहूंगा?
जिस पेड़ पे घोंसला बना है
उसके फल चखने रह गये
उसकी डाल पे झूला झूलना रह गया
क्या मैं कभी वो कर पाऊँगा?
शायद हां शायद नही

ए हवाओं ज़रा पीछे मुड़ो
चलो घर की ओर
जो टूट गयी है
वापिस बाँधने वो डोर
जीवन संध्या होने से पहले
कर दो मेरे हृदय में भोर
चलो घर की ओर
चलो घर की ओर
चलो घर की ओर!


http://journying.blogspot.com/2013_02_01_archive.html

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on March 21, 2013 at 10:51am

मगर क्या उन्हे उस घोंसले की याद आती है?
क्या माँ की ममता , याद आती है?
पिता की मेहनत, भाई बहनो से एक निवाले को लड़ने
की याद आती है?
शायद हन, शायद नही
मैं भी ऐसा ही परिंदा हूँ
उड़ गया था, नभ छूने
अनेक रंगों को देखने
अनेक सुगंधों को महसूस करने
अब घर जाना है
देख लिया जाग सारा,
घर तो बस अपना ही है प्यारा

sundar shabd

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
16 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
53 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service