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उन्हें किस्सा ऐ गम सुनाते सुनाते

कटी रातें आँसू बहाते बहात

कहीं बुझ न जाये चिरागे ऐ तमन्ना

चिरागे ऐ मोहब्बत जलाते जलाते

किसी को खबर हीं नहीं लुट गया हूँ ..

.मोहब्बत की दुनिया बसाते बसाते

कह दे कोई उनसे वो खुद बाज़ आ जाये अपने सितम से

हम थक गये है उन्हें मनाते मनाते

याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,
वो किताबो वाले दिन बडी मुश्किल से मिलते है,
हम तो यादो मे जलते है पर वो कहीं और रहते है,
याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,

वो घंटो बाते करना उनकी सूरतें निहारना,
कभी उनकी मुस्कुराट तो कभी जुल्फों को संवारना ,
उनके दीदार  के लिए घंटों इंतजार करना,
याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,

रातो को न आती थी नीन्द करवटो मे कटती थी राते,
राहो मे मुश्किलों से होती थी बाते,
अब तो अँखियो से सिर्फ आँसू ही बहते है,

याद आते है वो लम्हे तो आँखो से आँसू छलक जाते है,

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Comment by Ravi Prabhakar on August 21, 2011 at 12:39pm

कहीं बुझ न जाये चिरागे ऐ तमन्ना

चिरागे ऐ मोहब्बत जलाते जलाते

WELL SAID!

 

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