For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिता वह खूबसूरत नाम है उस इंसान का जो अपने बच्चों की सारी ख्वाहिशों को पूरी करने में दिन रात एक कर देते हैं, उनके लिए सारे कष्टों को झेलते हैं, उन्हें दो समय की भले ही न रोटी मिले पर कहीं न कहीं से वे अपने बच्चों का पेट भरने के लिए दो समय की रोटी का इंतजाम करते हैं। 

वे धूप, ठंडक, आंधी-तूफ़ान, बारिश, किसी की परवाह किये बगैर दिन-रात मेहनत करते हैं। वे भले ही कभी अच्छे स्कूल में न पढ़े हों पर अपने बच्चों को हमेशा अच्छे स्कूल में पढने के लिए भेजते हैं। ताकि वे पढ़ लिखकर कुछ बन सकें जैसी ज़िन्दगी उन्होंने जी है वैसी उनके बच्चे न जियें। 

माँ- बाप तो ईश्वर से भी बड़े हैं जो आपको एक नया जन्म देते हैं, आपको एक नयी दुनिया दिखाते हैं, आपको नया नया काम करने के लिए उत्साहित करते  रहते हैं। वे हर कदम दर कदम आपका साथ देते हैं, आपको कभी दुखी नहीं करते हैं। ईश्वर तो एक कल्पना है जिसे किसी ने नहीं देखा है और माँ -बाप तो साक्षात् ईश्वर का रूप है जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। आप किसी भगवान् की पूजा न करो बस सच्चे दिल से अपने माँ - बाप की सेवा करो देखो भगवान् तुमसे वैसे ही खुश हो जायेंगे। और जो माँ -बाप को रुलाकर भगवान् की पूजा करता है, व्रत रखता है भगवान् उससे खुश नहीं होते हैं कारण एक तरफ आप भगवान् रूपी माँ-बाप का निरादर करते हैं और दूसरी तरफ पूजा तो ईश्वर कैसे आप से खुश होगा आप खुद ही सोचिए। 

लेकिन हमारे महान देश में कुछ ऐसे बच्चे हैं जो अपने माता-पिता को कुछ नहीं समझते हैं कारण उनकी लाइफ स्टाइल या फिर गरीबी। मैं इन बच्चों के बारे में कुछ नहीं लिखूंगा बस एक नसीहत दूंगा की माता-पिता बहुत खुशनसीब लोगों को ही मिलते हैं और उनकी वैल्यू सिर्फ एक अनाथ ही समझ सकता है। 

 

पिता के बारे में और क्या लिखूँ, मुझे कुछ समझ में नहीं आता क्योंकि पिता उस हीरे के सामान है जिसकी वैल्यू सिर्फ एक जौहरी (अनाथ ) ही समझ सकता है।

मैं पापा के ऊपर कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं जो मैं अपने पापा को father day पर गिफ्ट करना चाहता हूँ -

"दुनिया के सबसे प्यारे मेरे पापा 

कभी न करते किसी बात की न-न। 

अपने गम को हमसे छुपाकर, 

हमारी सारी ख्वाहिशों को पूरी करते। 

हमारे सारे कष्टों को सहते, 

ऐसे हैं हमारे प्यारे पापा। "

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on June 12, 2013 at 7:28am

Happy Fathers Day!

Comment by SAURABH SRIVASTAVA on June 10, 2013 at 7:47pm

aapka sabhi ka bahut dhanyawaad 

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 10, 2013 at 4:06pm

पिता जीवन देने वाले हैं..एक आत्मा को पृथ्वी पर लाने वाले हैं..पिता का मूल्य...एक पिता जानता है...उसकी संतान में उसकी जान होती है।।।    आपको इस प्रस्तुति पर बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on June 10, 2013 at 12:14pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  बड़े  भाई , आपकी रचना चित्र को अच्छे से  चित्रित  कर रही है , अंतिम बंद…"
1 hour ago
Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service