For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

“.....चलो....... चलो हर हाल में चलो ”

पाँव फिसले जमीं पर तो घबराना क्या....

आसमां से कदम तुम मिलाते चलो ...

 

लाख तोड़े समंदर घरोंदे तो क्या ...

रेत के फिर भी घर तुम बनाते चलो ....

 

दूर हो जाएँ अपने-पराए तो क्या ....

तोहमतों को गले तुम लगते चलो ...

 

मिल ना पाये अगर फूल गुलशन में तो........

हसरतों ही से माला बनाते चलो

 

पड़ के हैरत में तुमको लगे देखने .....

ऐसा मंज़र जहाँ को दिखाते चलो

 

कारवाँ छूट जाये जो रहो में तो .....

हमसफर खुद का “खुद” को बनाते चलो

 

पत्ता पत्ता अगर झड़ भी जाए तो क्या ........

टहनियों से गुलिस्ताँ सजाते चलो .....

 

मन तो मचलेगा आखिर है ये “मनचला”

मनचलों की ही दुनिया बसाते चलो ....

 

“प्रदीप मनचला”

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप सिंह चौहान on August 27, 2011 at 3:54pm
sabhi mitro ka aabhar

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 14, 2011 at 8:49pm

भाई प्रदीप जी, संतोषम परम सुखम को प्रेरित करती यह रचना कथ्य के हिसाब से बहुत अच्छी है | बधाई स्वीकारें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2011 at 9:52pm

चल चल पुरतो निधेहि चरणम्

सदैव पुरतो निधेहि चरणम्...

आपकी इस रचना के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ.. 

किसी रचना के लिये उसकी संप्रेषणीयता के साथ-साथ उसका प्रस्तुतिकरण भी बहुत महत्त्व का होता है. शिल्प, शैली, कथ्य, भाव सभी इसके बाद आते हैं. अच्छी रचना के लिये धन्यवाद.

Comment by आशीष यादव on August 6, 2011 at 8:46pm

bahut sundar rachna. har mushkil me chalne ki himmat de rahi hai.

congrats for nice one.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service