For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

maa ki mamta......
dosto aaj me aapko ek kahani sunane ja raha hu jo ki ek ma or bete per he .............................. ek lady thi jo vidhwa thi ,, uske ek hi ladka tha .. bechari maa logo ke ghar ke bartan saaf karke apna or apne bete ka pet palti thi ..
uska beta kuch b kaam nahi karta tha.. bas aawara gardi... to janab wakya u he ki... us ladke ko kisi ladki se pyar ho gya...wo din rat usi ke aage piche chaker nikalta rahta ... ek din usne himmat karke ye baat us ladki ko bata di.... ek me tere liye sab kuch karne ko tyar hu bas tu mujse shadi kar le .... ye wo pata nahi kya kya usko bola .... ladki ab kuch sunne ke baad . acha tu mere liye kuch b kar sakta he ,., ja tu apni maa ka kaleja ager lake mere kadmo me rakh de to me tujse shadi kar lungi...... wo nadan aashiq ladki ki baato me aake apni maa ka kaleja lene nikal pada ........haath me khanjar tha...
jaise hi ghar pahucha maa ne kaha beta tu bhukha he khana kha le .. per uski aankho me to pyar ka junu sawar tha.... wo maa ko ghurne laga... bas dekhte he dekhte usne hath bhar ka chura maa ke seene ke paar kar diya..or maa ka kalega nikal ke ....bhagta bhgta ladki ke paas ja raha tha ke achanak chot kha ke gir pada .. haath se kaleja chut gya... to us kaleje me se aawaj aayi ke beta tuje chot to nahi aayi..
lekin wo kaha sunne wala leke kalega nikal gya or ladki ke jake bola le me maa ka kalega le aaya...
ladki boli are ja pagal ager tu apni maa ka na huwa to mera kya hoga...

Views: 2990

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 11, 2010 at 5:41pm
मुकुंद जी एक पुरानी कहानी याद दिलाने का शुक्रिया. माँ की ममता ऐसी ही होती. माँ चाहें जिस भी अवस्था में रहे अपने बच्चों की ख़ुशी ही चाहती है
आपकी कहानी का देवनागरी में रूपांतरण कर दिया है.
भविष्य में यदि हिंदी में पोस्ट करना हो तो देवनागरी को प्राथमिकता दे. टाइप करने के लिए OBO पर भी सुविधा उपलब्ध है

________________________________________________________________________________________________________________________________________
"माँ की ममता......
दोस्तों आज मै आपको एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो की एक माँ और बेटे पर हे .............................. एक औरत थी जो विधवा थी ,, उसके एक ही लड़का था .. बेचारी माँ लोगो के घर के बर्तन साफ़ करके अपना और अपने बेटे का पेट पलती थी ..
उसका बेटा कुछ भी काम नहीं करता था.. बस आवारा गर्दी... तो जनाब वाक्य यूँ है की... उस लड़के को किसी लड़की से प्यार हो गया...वो दिन रात उसी के आगे पीछे चक्कर लगता रहता ... एक दिन उसने हिम्मत करके ये बात उस लड़की को बता दी.... मै तेरे लिए सब कुछ करने को तयार हूँ बस तू मुझसे शादी कर ले .... वो पता नहीं क्या क्या उसको बोला .... लड़की अब कुछ सुनने के बाद . अच्झ्चा तू मेरे लिए कुछ भी कर सकता हे ,., जा तू अपनी माँ का कलेजा अगर लाके मेरे कदमो में रख दे तो मै तुझसे शादी कर लुंगी...... वो नादाँ आशिक लड़की की बातो में आके अपनी माँ का कलेजा लेने निकल पड़ा ........हाथ में खंजर था...
जैसे ही घर पंहुचा माँ ने कहा बेटा तू भूखा है खाना खा ले .. पर उसकी आँखों में तो प्यार का जुनूं सवार था.... वो माँ को घूरने लगा... बस देखते हे देखते उसने हाथ भर का छुरा माँ के सीने के पार कर दिया..और माँ का कलेजा निकाल के ....भागता भगता लड़की के पास जा रहा था के अचानक चोट खा के गिर पड़ा .. हाथ से कलेजा छुट गया... तो उस कलेजे में से आवाज आई के बेटा तुझे चोट तो नहीं आई..
लेकिन वो कहा सुनने वाला था ले के कलेजा निकल गया और लड़की को जाके बोला ले मै माँ का कलेजा ले आया...
लड़की बोली अरे जा पागल अगर तू अपनी माँ का न हुवा तो मेरा क्या होगा..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर, नमस्ते अवश्य, कई कारणों से मैं मंच से दूर हो गया था। मैं कोशिश करूँगा कि सप्ताह में…"
7 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके शब्द-शब्द से मेरी स्वीकृति है आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी।"
31 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"नहीं, कहने का आशय सूचना और चर्चा के आधार पर ही निर्भर कर रहा है, आदरणीय.  कोई यूँ ही बरसर्क…"
39 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"  जी, आदरणीया प्रतिभा जी.  हम सभी आप जैसे संवेदनशील सदस्यों की संलग्नता और इनकी सतत…"
57 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मुझे लगता है कि जो भी चर्चा हो उसमें कोई ऐसा आक्षेप न आए जो किसी ऐसे व्यक्ति को आहत करे जो सीधे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार। नियमित सहभागी साथियों की रचना पटल पर उपस्थिति और प्रतिक्रिया से दिल ख़ुश हो जाता है।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आ. भाई शेख शहजाद जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदाब। रचना पटल पर उपस्थिति और प्रोत्साहन हेतु तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी।…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service