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Kya sunaye tumhe tanhayi ki dastaan, uski yadon me use kabhi dekhte hai kabhi sochte he , kabhi uske balon se kabhi uske galon ko sehlate toh kabhi chumte he, Jab milegi hame uski ankhon me dub jaynge, na piyenge kabhi sharaab ,haan uske ansu jaroor pee lenge, Uske hothon ko chukar har talab ki kami mita lenge, Lekin aye tanhai,tu ye bata mere yaar tujhse haseen hai ya tu mera naseeb hai, ya wo mera naseeb hai,................sss.

Jab tanha hota hu to lagta hai, Khuda mere kareeb hai , par jab tanahai se dur hota hu toh lagta hai khuda se du hun, jab tere pas hota hu toh khuda ki kasam , khuda ko bhi bhul jata hun,Lekin aye tanhai,tu ye bata mere yaar tujhse haseen hai ya tu mera naseeb hai, ya wo mera naseeb hai.............SSS

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