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Rohit Dubey "योद्धा "
  • Male
  • Indore
  • India
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Rohit Dubey "योद्धा " posted a blog post

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी!

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी ,आंखें मेरी क्षण-क्षण अक्षुओं से भर आएंगीखाये जिनके बनाये गर्मियों में चांवल और दाल,छोड़ के हम नाती-पोतों को कब दूर चली जाएगीछत पर जिनकी तोड़ कर खता मिर्च नमक लगा कच्चा आम और जाम,उस वृक्ष की टहनी कब हम सब से इस तरह यूँ कट जाएगीसेव,मुरमुरे,प्याज,टमाटर काट के भेल खिलाती थी,एक पल को यूँ श्वास त्यागकर स्वर्गलोक सिधर जाएगीग्रीष्मकाल में विद्यालय के ९ मास जो कलम घीसी ,बचे मास खुशियों की स्याही जिसने भरी वह स्याही ढुल जाएगीछत-आंगन पर जिनके समकक्ष गोद में सोये गपशप…See More
Apr 20, 2021
Rohit Dubey "योद्धा " updated their profile
Apr 20, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Indore
Native Place
Indore
Profession
Software Engineer and Data Scientist
About me
मैं कवि तो नहीं मगर पिछले १० वर्षों से लिख रहा हूँ , अपनी मात्र भाषा से सदा जुड़ा रहना चाहता हूँ इसीलिए लिखता रहता हूँ

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Rohit Dubey "योद्धा "'s Blog

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी!

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी ,

आंखें मेरी क्षण-क्षण अक्षुओं से भर आएंगी

खाये जिनके बनाये गर्मियों में चांवल और दाल,

छोड़ के हम नाती-पोतों को कब दूर चली जाएगी…

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Posted on April 20, 2021 at 11:00am

मैं  इस देश का नेता हूँ

मैं  इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।

ख्वाब चाँद के दिखलाता हूँ, विभु स्वप्न भेंट कर देता हूं

मैं इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।

पंचवर्ष सेवा में रहकर, सौ वर्ष के ख्वाब दिखाता हूँ  

मैं इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।…

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Posted on June 5, 2018 at 11:00am — 4 Comments

माचिस की तीली की आत्मकथा ( लघुकथा )

सिरा है मेरा काला ,

तन है मेरा सफ़ेद |

मोल नहीं कुछ मेरा ,

करूँ अगर रंगों में मेरे भेद |

कोई ना जाने मोल मेरा,

गर रहूँ मैं डिब्बे में बंद |

बाहर निकल कर रगड़ जो खाऊं ,

तब बनु मैं ज्योत अखंड |

रहती हूँ अपनी सहेलियों के सांथ,

काम आती रहेंगी जो आपके ,

मेरे जाने के भी बाद |

लौ के रूप में उत्साह के सांथ हम बाँट लेती हैं एक दूजे का दर्द /``\ /``\

त्योहारों में दिया जलाकर खुशियां भी लाती हूँ |

बीड़ी-सिगरेट को जला कर धूम्रपान भी फैलाती…

Continue

Posted on June 27, 2015 at 7:59pm — 7 Comments

वो चार पहियां गाड़ी

वो चार पहियां गाड़ी कहाँ मिलेगी कोई हमें  बता दे,

एक हमसफ़र के  साथ चलायें जिसे , ऐसी कोई खता दे 



जिसमे न खिड़की हो,

जिसमे न दरवाज़ा ,

जो चले ज़रा धीरे-धीरे , 

बादलों को चीरे-चीरे |



वो चार पहियां गाड़ी  कहाँ मिलेगी कोई हमें  बता दे,

एक हमसफ़र के  साथ चलायें जिसे , ऐसी कोई खता दे 



पहियां बड़ा…

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Posted on June 23, 2015 at 7:30pm — 5 Comments

Comment Wall (6 comments)

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At 3:49pm on July 27, 2012, ganesh lohani said…

स्वागत है मित्र आपका |

At 3:54pm on March 9, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

स्नेही रोहित जी, शुभ होली. बढ़िया पर्व पर युवक द्वारा एक बुजुर्ग को साथी बनाया है. आभार 

At 8:25pm on February 22, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:19am on February 22, 2011, Admin said…
At 2:48pm on February 18, 2011, Ratnesh Raman Pathak said…
At 12:36pm on February 18, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
 
 
 

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