कुम्ह्लाइए मत खिल-खिल रहिये !
खुश-खुश रहिये , हिलमिल रहिये !
बीत गया मनमोहक सपना
खो गया दिलबर आपका अपना
कतराइये मत, शामिल रहिये
हंसमुख रहिये, चुलबुल रहिये !…
Posted on April 4, 2018 at 5:00pm — 3 Comments
गीत
कंटक ही कंटक हैं, जीवन के पथ में !
प्राणों पर संकट है, काया के रथ में !
क्षण-क्षण यह चिंतन
जीवन बीहड़ वन !
इस वन में एकाकी
प्राणों का विचरण…
Posted on February 27, 2018 at 11:30am — 7 Comments
रात गहरी, घोर तम छाया हुआ !
हार कर बैठा हूँ --- पथराया हुआ !
यूँ पड़ा हूँ, लोकपथ के तीर पर
जैसे प्रस्तर-खण्ड ठुकराया हुआ !
दूर जुगनूँ एक दिपता आस का
शेष सब सुनसान, थर्राया हुआ !…
ContinuePosted on February 17, 2018 at 5:08pm — 4 Comments
वासन्ती-गीत
सुरीले दिन वसन्त के
मनहर,सरसाते दिन आये रसवन्त के
सुरीले दिन वसन्त के.....!
बहुरंगी बोछारे धरती पर बरसाते
ऋतुओ का राजा फिर आया हँसते गाते
पोर पोर पुलकित दिक् के दिगन्त के
सुरीले दिन वसन्त के......!
मस्ताना मौसम जनजीवन में थिरकन हैं
कान्हा की भक्ति मे खोया हर तन मन हैं
चित्त चपल, ध्यान मग्न, योगी और संत के
सूरीले दिन वसन्त…
ContinuePosted on January 28, 2018 at 7:30pm — 2 Comments
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