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वर्ल्ड हार्ट डे ('World Heart Day 26.09.2010) पर

कोई भी बात दिल से न अपने लगाइये,
अब तो ख़ुद अपने दिल से भी कुछ दिल लगाइये ।

दिल के मुआमले न कभी दिल पे लीजिये,
दिल टूट भी गया है तो फिर दिल लगाइये ।

दिल जल रहा हो गर तो जलन दूर कीजिये,
दिलबर नया तलाशिये और दिल लगाइये ।

तस्कीन-ए-दिल की चाह में मिलता है दर्द-ए-दिल,
दिलफेंक दिलरुबा से नहीं दिल लगाइये ।

दिल हारने की बात तो दिल को दुखाएगी,
दिल जीतने की सोच के ही दिल लगाइये ।

बे-दिल, न मुर्दा-दिल, न ही संगदिल, न तंगदिल,
बुज़दिल नहीं हैं आप तो फिर दिल लगाइये ।

’शम्सी’ के जैसा ना कोई दिलदार जब मिले,
क्या ख़ाक दिल चुराइये, क्या दिल लगाइये !

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Comment

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Comment by आशीष यादव on September 28, 2010 at 6:17am
Bs dil lagaiye. Ye soch sbme ho to sard fsad mit jay. Behatrin ghazal. Dhanyawad kubul kare.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 26, 2010 at 8:35pm
दिल हारने की बात तो दिल को दुखाएगी,
दिल जीतने की सोच के ही दिल लगाइये ।
अच्छा प्रयास है मोईन साहिब , बहुत बढ़िया सोच है , लिखते रहिये अच्छा लिख रहे हैं ,
Comment by Admin on September 26, 2010 at 8:32pm
आदरणीय मोईन शम्सी जी, प्रणाम,
सर्वप्रथम तो मैं ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले नज्म का दिल से स्वागत करता हूँ , ख्यालात अच्छे है, जरा जी कोशिश की जरूरत थी , यह रचना मुकम्मल ग़ज़ल बन सकती थी, ओपन बुक्स ऑनलाइन सीखने सिखाने का ही मंच है जहा सभी लोग एक दुसरे से सीखते हैं,
पुनः आपके पहली नज्म हेतु बधाई |

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